महर्षि स्वामी दयानन्द सरस्वती जी का जीवन-चरित्र | Maharishi Swami Dayanand Saraswati Ji Ka Jeewan Charitra
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
13.21 MB
कुल पष्ठ :
378
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)३ संजार में शान्ति प्राप्त बरने का पक मात्र उपाय 4: न
जलि जौ फदते ऐ कि सम्पूर्ण दुम्दों थो उत्पत्च का स्वास घचियधा हैं जैसा दि-
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७-3
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हैं फिर उस से तुप्पासापी कायल उत्पन्न दोजाता ऐ डर लदमी दो घरस्पिर
हैं नाश दो जाती हैं नंद चप्णारुपी फाजण रा जाता हैं जिस से फसी गांसि
घाप्त नहीं होनी जौर जन्म दान्य ऊन्नान्तर में झुम्ख उठाने पड़ते &ै जिस
धार खद्धग की धारा देखने में खुन्दर सोती हैं परन्तु रूश करते पी नाश
दर देती है रखी भांति लदमी स्रो घादि पदार्थ अधिया दो छे फारण उसम
शारसते ए जो सुभाने चालें हैं इसी लिये ऋषियों का सिद्धान्त था कि चद् लोग
मरा दु्व्वी हैं जो अविद्या की उपासना करने ऐ-जेसा दिए
अ्स्थंतमः झविशन्तियेउदिष्यासुपासते ।
इसी हेतु सांख्य दुर्धन अ० दे सूच रहे में फटा है दि छपनान्मुक्ति:
लर्थात् कान ही द्वारा सुक्ति दोती ऐै।
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जाता है शोर फिर उससे सन च छ्प आदि दोपो का नाश हो लाता है और
दोपों पे नातत.खे प्रयूति का नाश शौर उसके नाश दोने से कर्म चद एो जाते मैं
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