भिन्डी चरित्र | Bhindi Charitra

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Bhindi Charitra by चंद्रधर शर्मा - Chandradhar Sharma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( र ) (२६) श्राउ बसंत काह, सहि, करिहड कंत श॒ थक्भूद पासे । ब्रज, मारवाड़ी--'किद्मड? >- किया । हम्मारा । खड़ी, पंजाबी--चलिट, मारि्र, चलिझा , जुज्किया, बुज्मिया (-- चल्या चला, मारया सारा, इत्यादि) । रक्‍खे।, रक्‍खे, हो, ढोल्ला, पयाणा, सज्जा हुआ ( ब्रज के समान ढोल्लो, पयाणो, सजउड हुयउ नहीं ) । तुम्हाथ अम्हाण > तुम्हें हमें । तुम्हा ( पुराना रूप) -- तुम्हारी । हसंवी, ठरती ( कृदंत रूप हसती, हरती ) । बैसवाड़ी, अवधी--“करू घरू' -- किया, धरा ( तुलसी का “कर घर ) । चल - चलती है, ताव -- तपाता है, बह -- बहता है (उ०--उत्तर दिसि सरजू बह पावनि ) । आव आया । आवे -- आए >> आवेगा ( जैसे, ऊ कब श्राए ? ) । पा, मिटाझा >> पावा, सिटावा -- पाया, सिटाया । बड़ >> बड़ा | लग > पास, निकट (ठेठ अवधी) । .. कहिअआ -- कब ( ठेठ पूरबी या अवधी । उ०-- . कह कवीर किछ अछिला न जहिया । हरि बिरवा प्रतिपालेसि वह्चिझ्ा ) मेजपुरी, मैथिली, बैंगला--इछल -- इच्छा की । पृरल, मुभ्रल् न पूरा, मरा ।.तोहर - ताहरा -> तुम्हारा । शच्छि ननहीं है ( मैथिलों की छि छिं ) । आाछे,




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