मध्ययुगीन हिंदी साहित्य का लोकतात्विक अध्धयन | Madyayugin Hindi Sahitya Ka Loktatvik Adhyayan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
12 MB
कुल पष्ठ :
590
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand), न्रट-
खवास की फया-कृष्णदत्तरासा [१ €८]-ठाकुर जी की घोडी--रामव्याह-
बना--माधवानल 'कामकंदला [हिद९ुनर००]--चियावली [शि०१-र०र]--
इसका विक्लेपणा--राजाचंद की बात [२०३1--इस पर विचार [०४-२० द््]
भादित्यवार की कथा--ब्रत कथा [दि०४]--एकादशी माहात्म्य [रि९८-
२०६] हनुमान चरिन्न-बिप्णुकुमार कथा-वाराँगकुमार चरित्र रि१०]--पद्य
नामि चरिय--संयुक्त कौमुदी भाषा [रि९१]--पीपालचरिन [२१९२-२1 इन
मन्यकुमार चरिथ -प्रियमेलक तीथें[२१४-२२३ ] बिदेपत्ताएं : जैन-बीद्ध बहा
नियों मे अंतर [२२९२-२२ रे]--जैंन वहासियों का झताब्दी क्रम-प्रेमगाथा का
भ्रादशं रूप[२२४]-लोक साहित्यकार की परंपरा[२९ ५]-हिन्दी कथा-साहित्य
ना कालअर्म[ २९६-२३४]--शताब्दी क्रम से कथा-साहित्य [२३५]--घर्मकथा
में प्रेमकथा वयों शु२३६ ]-भाषा-हुप--कथा-रपों की श्रावृत्ति[२३ ७-३८]
पूरककृतित्व [२३४ प--भ्रशात काल बाली रचनाएं [ २४० ]--
कहानियाँ जो लोक साहित्य नहीं [र४१]--इतिहास में लोकतत्व [रिस््र-
प्रभावक चरिय--पुरातन मबंध-र४३]-इन कथाों के सामान्य तत्व--
बारहमासा [२४४]--सत--वीसलदेव 'रास--दंगवँ कथा--सृगावती--रुप-
मंजरी--वेलि' [र४५]-नरासो अन्य--गोरावादल-रुव्मिशीमंगल--परिचइयाँ
मन्य कथाएं [२४६-२४७]--कथानक रूढियाँ--प्रथु,म्नचरित [२४८०
र५०]--हबुमान _ चरिथ [२४१ 1 -युरतिपंचमी [२५२] --राजापीपा
की कथा [रि५३] --शीपाल चरित्र [रश४-२४५] --भक्त माहात्म्य
[५६-२९ श८]--सीताचरिय [रि५९-२६९]--रविव्रतकथा (२६२) रोहिनी
कथा--भक्तामरचरिय्र --भवानी चरिश्र भाषा [र६४]--एकाददी माहात्म्य
रि६५-२६६]--जेंदेव की कथा [२६७] --ढोलामारू [२६८-२६ €]--यशोघर
चरित्र [२७०य “उध्यानकुमारचरित [२७१ पप्नाभिचरित्र--शुगावती
(सिमयसुन्दर)[ २७ रपन-प्रेमगाथा : विद्लेषश--सूल कथावस्तु[ २७ इ-र७७]--
श्रेमगाधाओं में लौक-कथा (पद्मावती) [रि७८-र८२] कुछ विशेष झभिषाय--
दीप--सप्त समुद्र [२८२ उसिंहलदीप का नाम [रि८४]--गंघवंतेन-सत-
न [र८५-र८६ [-पश्चिनी [२८७ ]-प्मावत्ती की ज्योति-गगननिरमई[र८८]
रुप सम्मोहन-खायकुमार चरिय--जंबुसामि चरित--सुदर्शन चरिय---कर-
बांडुंचरिय [२८६-२९६० पुनप्रेमगाया का सवरूप--तालिका (१) [२६१०२ ध्यु
तालिका (२) [पू० २९९-२८३ के बीच]-चालिका-(३) रिरिद-ररथ्यन
कथा- चक्र [उ९४-३३४ ]-विचार-विमझं-मिथ-चक्र [३ि३६-३४८]--गर्म-
कथाएं-शुमिका कथाएं इ्९ संयोजक कथा[ ३५ ०]-साक्षी कथाएं [३५ श्र्यृ
एएहित्दी शूष की जन कथाओं के झमिधाय [३ शुरा३५५]-उपसंदार
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