मध्ययुगीन हिंदी साहित्य का लोकतात्विक अध्धयन | Madyayugin Hindi Sahitya Ka Loktatvik Adhyayan

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Madyayugin Hindi Sahitya Ka Loktatvik Adhyayan by राजकिशोर सिंह - Rajkishor Singh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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, न्रट- खवास की फया-कृष्णदत्तरासा [१ €८]-ठाकुर जी की घोडी--रामव्याह- बना--माधवानल 'कामकंदला [हिद९ुनर००]--चियावली [शि०१-र०र]-- इसका विक्लेपणा--राजाचंद की बात [२०३1--इस पर विचार [०४-२० द््] भादित्यवार की कथा--ब्रत कथा [दि०४]--एकादशी माहात्म्य [रि९८- २०६] हनुमान चरिन्न-बिप्णुकुमार कथा-वाराँगकुमार चरित्र रि१०]--पद्य नामि चरिय--संयुक्त कौमुदी भाषा [रि९१]--पीपालचरिन [२१९२-२1 इन मन्यकुमार चरिथ -प्रियमेलक तीथें[२१४-२२३ ] बिदेपत्ताएं : जैन-बीद्ध बहा नियों मे अंतर [२२९२-२२ रे]--जैंन वहासियों का झताब्दी क्रम-प्रेमगाथा का भ्रादशं रूप[२२४]-लोक साहित्यकार की परंपरा[२९ ५]-हिन्दी कथा-साहित्य ना कालअर्म[ २९६-२३४]--शताब्दी क्रम से कथा-साहित्य [२३५]--घर्मकथा में प्रेमकथा वयों शु२३६ ]-भाषा-हुप--कथा-रपों की श्रावृत्ति[२३ ७-३८] पूरककृतित्व [२३४ प--भ्रशात काल बाली रचनाएं [ २४० ]-- कहानियाँ जो लोक साहित्य नहीं [र४१]--इतिहास में लोकतत्व [रिस्‍्र- प्रभावक चरिय--पुरातन मबंध-र४३]-इन कथाों के सामान्य तत्व-- बारहमासा [२४४]--सत--वीसलदेव 'रास--दंगवँ कथा--सृगावती--रुप- मंजरी--वेलि' [र४५]-नरासो अन्य--गोरावादल-रुव्मिशीमंगल--परिचइयाँ मन्य कथाएं [२४६-२४७]--कथानक रूढियाँ--प्रथु,म्नचरित [२४८० र५०]--हबुमान _ चरिथ [२४१ 1 -युरतिपंचमी [२५२] --राजापीपा की कथा [रि५३] --शीपाल चरित्र [रश४-२४५] --भक्त माहात्म्य [५६-२९ श८]--सीताचरिय [रि५९-२६९]--रविव्रतकथा (२६२) रोहिनी कथा--भक्तामरचरिय्र --भवानी चरिश्र भाषा [र६४]--एकाददी माहात्म्य रि६५-२६६]--जेंदेव की कथा [२६७] --ढोलामारू [२६८-२६ €]--यशोघर चरित्र [२७०य “उध्यानकुमारचरित [२७१ पप्नाभिचरित्र--शुगावती (सिमयसुन्दर)[ २७ रपन-प्रेमगाथा : विद्लेषश--सूल कथावस्तु[ २७ इ-र७७]-- श्रेमगाधाओं में लौक-कथा (पद्मावती) [रि७८-र८२] कुछ विशेष झभिषाय-- दीप--सप्त समुद्र [२८२ उसिंहलदीप का नाम [रि८४]--गंघवंतेन-सत- न [र८५-र८६ [-पश्चिनी [२८७ ]-प्मावत्ती की ज्योति-गगननिरमई[र८८] रुप सम्मोहन-खायकुमार चरिय--जंबुसामि चरित--सुदर्शन चरिय---कर- बांडुंचरिय [२८६-२९६० पुनप्रेमगाया का सवरूप--तालिका (१) [२६१०२ ध्यु तालिका (२) [पू० २९९-२८३ के बीच]-चालिका-(३) रिरिद-ररथ्यन कथा- चक्र [उ९४-३३४ ]-विचार-विमझं-मिथ-चक्र [३ि३६-३४८]--गर्म- कथाएं-शुमिका कथाएं इ्९ संयोजक कथा[ ३५ ०]-साक्षी कथाएं [३५ श्र्यृ एएहित्दी शूष की जन कथाओं के झमिधाय [३ शुरा३५५]-उपसंदार




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