श्री भगवन्नाम | shree bhagvannam
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
79.44 MB
कुल पष्ठ :
1060
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
He was great saint.He was co-founder Of GEETAPRESS Gorakhpur. Once He got Darshan of a Himalayan saint, who directed him to re stablish vadik sahitya. From that day he worked towards stablish Geeta press.
He was real vaishnava ,Great devoty of Sri Radha Krishna.
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)३१५-युद्धका आरम्भ--दोनों पश्षोंके वीरोंका
परस्पर मिड़ना
३१६-अभिमन्यु; उत्तर और श्वेतका संग्राम तथा
उत्तर और श्वेतका वघ
२१७-युषिष्टिककी चिन्ता; कृष्णका आश्वासन और
क्रौद्वव्यूडकी रचना
३१८-दूसरा दिन--कौरबवॉकी व्यूहरचना और
अजुन तथा भीष्मका युद्ध हे
२३१९-घृष्टयुज् और द्रोणका तथा भीमसेन और
कलिज्जॉका युद्ध
.. रैर०-धृष्टयुस्ज; असिमन्यु और अजुनका पराक्रम
३२१-तीसरा दिन--दोनों सेनाऑओँकी व्यूह-रचना
और घमासान युद्ध के
३२र-भीष्मका पराक्रम; श्रीकृष्णका मीष्मकों
मारनेके लिये उद्यत होना और अर्जुनका
पुरुषार्थ
३२३-सायमनिपुत्र और कुछ ध्ृतराष्ट्रपुज्रॉंका वध
तथा घटोत्कच और भगदत्तका युद्ध
२२४-सक्ञयका राजा घरतराष्ट्रको भीष्मजीके मुखसे
कद्दी हुई श्रीकृष्णकी महिमा सुनाना .. **'
२२५-भीमसेन; अभिमन्यु और सात्यकिकी वीरता
तथा भूरिश्रवाद्वारा सात्यकिके दस पु्नांका वघ
३२६-मकर और क्रोश्न-व्यूहका निर्माण; भीम और
धृष्टयुन्नका पराक्रम
३२७-मीम और दुर्योधनका युद्ध; अभिमन्यु तथा
द्रौपदीके पुौंका पराक्रम *
३२८-छठे दिनका दोपहरतकका युद्ध दर
२९-छठे दिनका दोपहरसे पीछेका युद्ध... **”
३३०-सातवें दिनका युद्ध ओर ध्रतराष्ट्रके आठ
मुत्रॉंका वघ के
३३१-दाकुनिके भाइयोका तथा इरावानका वध
३३२-घटोत्कचका युद्ध
३३३-दुर्योधन और मीष्मकी बातचीत तथा
भगदत्तका पाण्डवॉसे युद्ध हे
३३४-इरावानकी मृत्युपर अर्जुनका शोक तथा
मीमसेनद्वारा छुछ श्रतराष्ट्रपुत्रोंका वध **”
३३५-दुर्योधनकी प्रार्थनासे मीष्मजीका पाण्डवॉकी
सेनाके संद्वारके छिये प्रतिशा करना
( १३ )
ए-सख्या
७१४
७१६
७१९
७रश-
७्रर
७र४
७२६
७२९
७३२ ._
७२६
७्रेट
७४०
७४१
छठ
७४६
७४८
७५०
७५२
७५३
७५४
पूणन्साणा
दे ३६-मीष्मजीका पाण्डव वीरगेंके साय घोर युद्ध
तथा श्रीकृष्णका चाबुक लेकर भीष्मजीपर
दौढ़ना उप
३ ३७-पाण्डवॉका भीष्मजीसे मिलकर उनके वध
उपाय जानना सकें ७
२३८-दसवें दिनके युद्धका प्रारम्भ उपर
२३९-दसबवें दिनके युद्धका छृत्तान्त उभ्'
३४०-मीप्मजीका वघ ६०४
३४१-भीष्मजीके पास जाकर सब राजाओफा तथा
कर्णका मिलना तल
३,
द्रोणपर्य
र४र-कर्णका युद्धके लिये तैयार दोना तथा
द्रोणाचार्यका सेनापतिके पदपर अभिषेक ***. ७७७
२४३-द्रोणाचार्यकी प्रतिज्ञा तथा उनका पाले
दिनका युद्ध * ७८%
२४४-उजुनकें वधके ल्ये संगसक वीरोंकी प्रतिशा
और अ्जुनके उनके लाथ युद्ध ते
३४५-द्रोणाचार्यद्वारा पाण्डवॉका पराभव तथा दृक्क,
- ... सत्यनित्» दयात्तानीक; वसुदान और क्षत्रदेव
आदिका वघ ** च् ** उटद
३२४६-द्रोणाचार्यकी रक्षाके लिये कौरव और पाण्टव
वीरोका दन्ददयुदध डर ७९०
३४७-भगदत्तकी वीरता; अजुनद्दारा संयसंकोका
नाक तथा भगदत्तका वध ७९१
३४८-दूषक; अचल और नील आदिका वध
चयकुनि और कर्णकी पराजय * ७९५
३४९-चक्रव्यूह-निर्माण और अभिमन्युन्दी प्रति ७९७
३५०-अभिमन्युका व्यूहमे प्रवेश और पराक्रम ७१९
३५१-दुश्शा्न और कर्णकी पराजय तथा
जयद्रयका पराक्रम ८०
३५२-अभिमन्युके दारा कौरव-सेनाके कई प्रमुख
वीरोंका सहार ८०४
३५३-अभिमन्युके द्वारा कौरव वीरोंका सद्दार और
छः महारथियोंकि प्रयल्रसे उसका चघ
3५४-युधिष्टिका विलाप तथा व्यासजीके द्वारा
म्त्युकी उत्पत्तिका वणन ***
३५५-व्यावजीके द्वारा उझ्यपुत्र; मरुत्त: खुद्दोन्र»
, शिवि और रामके परठोक्गमनका वर्णन '
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