श्री गुरुग्रन्थ दर्शन | shree gurugranth darshan

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shree gurugranth darshan by डॉ० जयराम मिश्रा

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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ध चय, इख भक्ति में परमात्मा के साथ विविध सम्बन्ध, भक्ति के उपकरण तथा भक्ति-प्राप्ति के परिणाम, (११) सद्गु एव नाम की विशद विवेचना इस ग्रथ के अ्रष्ययन में मुझे! पर्यात्त कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। किन्तु पूज्य पित्ता जी के आशीर्वाद्‌ एव प्रेरणा से कठिनायाँ आसान हो गई | अध्ययन एवं सामग्री सकलन के लिए मुझे खालसा कालेन, श्चमृत सर कई महीने रहना पढ़ा | वहाँ के तत्कालीन प्रिंसिपल भाई जोधसिंद और पजाबी-विभाग के प्रोफेसर साहब सिंह जी, तथा पजाब विश्वविद्यालय के पजाबी विमाग के तत्कालीन अ्रष्यक्ष, डॉ० मोहन सिंह से मुझे बढ़ी सहायता मिली | स्वर्गीय डॉ० रानाडे, मदहामदहोपाध्याय डॉ० उमेश मिश्र, डॉ० हजारी असाद द्विवेदी, पडित परशुराम चतुर्वेदी, डॉ० लक्ष्मी सागर वाष्णेय के श्रमूल्य परामर्शो से मैंने लाभ उठाया है| श्रवणव उन सबका मैं परम आमारी हूँ । जिन विद्वानों की कृतियों से मुझे किसी प्रकार को सहायता प्राप्त हुई है, उन के प्रति मैं श्रपनी कृत्तशता प्रकट कर रहा हूँ । ~ मेरे इस शोध-कार्य में डॉ० हरदेव बाहरी, असिस्टेण्ट प्रोफेसर, हिन्दी- विभाग, प्रयाग विश्वविद्यालय ने बहुत अधिक सहायता पहुँचाई है। में उनका चिर-ऋणी रहेंगा। माई श्री नर्मदेश्वर जी चतुर्वेदी मेरे ऊपर अ्रपार स्नेह रखते हैं। इस युस्तक के अणयन में उन्होंने मुझे जो प्रोत्साहन दिया है, वह मैं कमी नहीं भूल सकता | पसिद्ध सत साहित्य-मर्मश, श्री पडित परशुराम चत॒वँदी ने इस पुस्तक की विद्धत्तापूर्ण एवं सारगर्भित भूमिका लिखी है, इसके लिए मैं उनका परम कतश् हूँ । अंत में मैं साहित्य-मवन प्राइवेट लिमिटेड के प्रबन्धकों का সালা हूँ जिन्होंने मेरी पुस्तक प्रकाशित कर मेरा उत्साह बढाया है। गरतत्र-दिवलस क १६६० ६० अलोपी बाग प्रयाग




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