श्री भगवन्नाम | shree bhagvannam

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shree bhagvannam by हनुमान प्रसाद पोद्दार - Hanuman Prasad Poddar

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He was great saint.He was co-founder Of GEETAPRESS Gorakhpur. Once He got Darshan of a Himalayan saint, who directed him to re stablish vadik sahitya. From that day he worked towards stablish Geeta press.
He was real vaishnava ,Great devoty of Sri Radha Krishna.

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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३१५-युद्धका आरम्भ--दोनों पश्षोंके वीरोंका परस्पर मिड़ना ३१६-अभिमन्यु; उत्तर और श्वेतका संग्राम तथा उत्तर और श्वेतका वघ २१७-युषिष्टिककी चिन्ता; कृष्णका आश्वासन और क्रौद्वव्यूडकी रचना ३१८-दूसरा दिन--कौरबवॉकी व्यूहरचना और अजुन तथा भीष्मका युद्ध हे २३१९-घृष्टयुज् और द्रोणका तथा भीमसेन और कलिज्जॉका युद्ध .. रैर०-धृष्टयुस्ज; असिमन्यु और अजुनका पराक्रम ३२१-तीसरा दिन--दोनों सेनाऑओँकी व्यूह-रचना और घमासान युद्ध के ३२र-भीष्मका पराक्रम; श्रीकृष्णका मीष्मकों मारनेके लिये उद्यत होना और अर्जुनका पुरुषार्थ ३२३-सायमनिपुत्र और कुछ ध्ृतराष्ट्रपुज्रॉंका वध तथा घटोत्कच और भगदत्तका युद्ध २२४-सक्ञयका राजा घरतराष्ट्रको भीष्मजीके मुखसे कद्दी हुई श्रीकृष्णकी महिमा सुनाना .. **' २२५-भीमसेन; अभिमन्यु और सात्यकिकी वीरता तथा भूरिश्रवाद्वारा सात्यकिके दस पु्नांका वघ ३२६-मकर और क्रोश्न-व्यूहका निर्माण; भीम और धृष्टयुन्नका पराक्रम ३२७-मीम और दुर्योधनका युद्ध; अभिमन्यु तथा द्रौपदीके पुौंका पराक्रम * ३२८-छठे दिनका दोपहरतकका युद्ध दर २९-छठे दिनका दोपहरसे पीछेका युद्ध... **” ३३०-सातवें दिनका युद्ध ओर ध्रतराष्ट्रके आठ मुत्रॉंका वघ के ३३१-दाकुनिके भाइयोका तथा इरावानका वध ३३२-घटोत्कचका युद्ध ३३३-दुर्योधन और मीष्मकी बातचीत तथा भगदत्तका पाण्डवॉसे युद्ध हे ३३४-इरावानकी मृत्युपर अर्जुनका शोक तथा मीमसेनद्वारा छुछ श्रतराष्ट्रपुत्रोंका वध **” ३३५-दुर्योधनकी प्रार्थनासे मीष्मजीका पाण्डवॉकी सेनाके संद्वारके छिये प्रतिशा करना ( १३ ) ए-सख्या ७१४ ७१६ ७१९ ७रश- ७्रर ७र४ ७२६ ७२९ ७३२ ._ ७२६ ७्रेट ७४० ७४१ छठ ७४६ ७४८ ७५० ७५२ ७५३ ७५४ पूणन्साणा दे ३६-मीष्मजीका पाण्डव वीरगेंके साय घोर युद्ध तथा श्रीकृष्णका चाबुक लेकर भीष्मजीपर दौढ़ना उप ३ ३७-पाण्डवॉका भीष्मजीसे मिलकर उनके वध उपाय जानना सकें ७ २३८-दसवें दिनके युद्धका प्रारम्भ उपर २३९-दसबवें दिनके युद्धका छृत्तान्त उभ्' ३४०-मीप्मजीका वघ ६०४ ३४१-भीष्मजीके पास जाकर सब राजाओफा तथा कर्णका मिलना तल ३, द्रोणपर्य र४र-कर्णका युद्धके लिये तैयार दोना तथा द्रोणाचार्यका सेनापतिके पदपर अभिषेक ***. ७७७ २४३-द्रोणाचार्यकी प्रतिज्ञा तथा उनका पाले दिनका युद्ध * ७८% २४४-उजुनकें वधके ल्ये संगसक वीरोंकी प्रतिशा और अ्जुनके उनके लाथ युद्ध ते ३४५-द्रोणाचार्यद्वारा पाण्डवॉका पराभव तथा दृक्क, - ... सत्यनित्‌» दयात्तानीक; वसुदान और क्षत्रदेव आदिका वघ ** च् ** उटद ३२४६-द्रोणाचार्यकी रक्षाके लिये कौरव और पाण्टव वीरोका दन्ददयुदध डर ७९० ३४७-भगदत्तकी वीरता; अजुनद्दारा संयसंकोका नाक तथा भगदत्तका वध ७९१ ३४८-दूषक; अचल और नील आदिका वध चयकुनि और कर्णकी पराजय * ७९५ ३४९-चक्रव्यूह-निर्माण और अभिमन्युन्दी प्रति ७९७ ३५०-अभिमन्युका व्यूहमे प्रवेश और पराक्रम ७१९ ३५१-दुश्शा्न और कर्णकी पराजय तथा जयद्रयका पराक्रम ८० ३५२-अभिमन्युके दारा कौरव-सेनाके कई प्रमुख वीरोंका सहार ८०४ ३५३-अभिमन्युके द्वारा कौरव वीरोंका सद्दार और छः महारथियोंकि प्रयल्रसे उसका चघ 3५४-युधिष्टिका विलाप तथा व्यासजीके द्वारा म्त्युकी उत्पत्तिका वणन *** ३५५-व्यावजीके द्वारा उझ्यपुत्र; मरुत्त: खुद्दोन्र» , शिवि और रामके परठोक्गमनका वर्णन '




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