रूपान्तर | Roopantar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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विश्वास है, तब फिर तुम्हारे हृदय को शांति दयों नहीं मिलेगी ? अवश्य मिलेगी राजन, श्रव्य सिलेगी 1” मान्धाता की झाँखें घरती की झ्रोर झुक गई ॥ शर चारों श्रोर से जयजयब्मार की. ध्वनि निकलकर श्रस्तरिक्ष में बिलीन हो रही थी । ब् धन लि प्र




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