सौन्दर्यशास्त्र के तत्त्व | Saundrya Shastra Ke Tattv
श्रेणी : भारत / India
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
21 MB
कुल पष्ठ :
312
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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बोधों की पा'रस्परिक सम्बद्धता--वर्ण-बोध, दृष्टि-चेतना और शरीरविज्ञान
-एचिंत्रकला और संगीत कला में तात्विक साम्य--आर. एस. मेण्ड्ल की
मान्यता--दोलनवीक्ष के द्वारा रागों के रेखाचित्र का आनयन--भारतीय
साहित्य में “रागमाला” के चित्र--एडवड हौवडें ग्रिगूस, लैंगर और जॉन
डेवी के विचार--लेसिंग, के. एस. 'रामस्वामी शास्त्री और महादेवी वर्मा के
विचार--कलाओं का तात्तविक अन्तःसम्बन्ध और विशी का 'पेरेगन'--
क्षेमेन्द्र की मान्यता--काव्य और चित्रकला के तात्त्विक साम्यपर अरस्तू के
विचार--शास्त्रीय परम्परा के अनुसार काव्य और चित्र--काव्य का वर्ण-
लेखन और चित्रकला--काव्य और चित्र की विषय-वस्तु में साम्य--चित्र-
कला के छह अंगों में तीन अंग (भाव, लावण्य-योजना' और सादृश्य) काव्य
में भी विद्यमान--अवनीत्द्रनाथ ठाक्र के विचार--भारतीय कला-साहित्य
में काव्य और चित्र-कला का समस्वय--डब्त्यू. जी. आचंर का मन्तव्य--
कृष्णकाव्य से चित्र-कला का विशेष सम्बन्ध--पाश्चात्य कला-साहित्य में
काव्य और चित्रकला का समन्वय--बाद्लेयर और कुरबे, रोज़ेटी और दान्ते,
हत्मन हूंट और मिलेस--काव्य और चित्रकला के संगम की दृष्टि सें
विलियम ब्लेक--यीद्स, एन्थोनी ब्लण्ट और डी. एच. लॉरेन्स के विचार--
कला-संगम स्वच्छन्दतावाद ('रोमाण्टिसिज्म) की एक विशिष्ट प्रवृत्ति--
चित्रकला और संगीत कला में तात्विक साम्य--लय और अनुपात--कलाओं
का संयोजन-सिंद्धान्त और अनुपात्त--भारतीय कला-साहित्य में संगीतकला
और चित्रकला की अन्तःसम्बद्धता--रागमाला न्रित्रों की कल्पना--हीगेल,
गिव्सन, काण्डिन्स्की प्रभूति पाश्चात्य विचा रकों के मन्तव्य--नाद और वर्ण
का समीकरण--नचिंत्रकला और मूर्तिकला का तात्विक अन्तःसम्बन्ध--चिंत्र-
कला और स्थापत्य कला का अन्तःसम्बन्ध--स्थापत्य कला सभी कलाओं
की जननी--आर. एच. विलेन्स्की के विचार--घनवाद (क्यूबिफम) : चिंत्र-
कला पर स्थापत्य के प्रभाव की स्वीक्ृति--काव्य और स्थापत्य कला का
सम्बन्ध--संगीत कला और स्थापत्य कला का सम्बन्ध--स्थापत्य कला :
'फ्रोज़ेन म्युज्िक'--संगीत कला : 'फ्लोइंग आकिटेक्चर'--संगीत और स्था-
पत्य में संगति, सन्तुलन और संयोजन--न्हिक्टर त्सुकरकाण्डूल का, मन्तव्य
-हीगेल की धारणा--काव्य और संगीत कला' का तात्विक अन्तःसम्बन्ध
. . --कविता में लय--आधुनिक कविता में संगीत का .आभ्यन्तरीकरण--
कविता में संगीत : शब्द-संगीत, भाव-संगीत...और अर्थ-संगीत--कविता में
छन्द और लय की स्वीकृति--काव्य और संगीत की तात्त्वरिक निकंटता
का प्रमाण--लय सभी ललित कलाओं का अनिवाये तत्त्व---क्रम-संगत
लय और क्रमद्दीन लय--कवियों और संगीतकारों में साम्य--आर. एस.
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