बेला विज्ञान | Bela Vigyan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
14 MB
कुल पष्ठ :
242
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)बेला विज्ञान १३
राग की जाति--ाग में लगने वाले स्वरों के अलग-अलग वर्ग राग की
नाति कहलाते हैं । मुख्य रूप से रागों की तीन जातियां. हैं (१) संपूर्ण (२) षाडव
(३) आऔड्व |
संपग-संपर्ण--जिस राग के आरोह तथा अवरोह में सात स्वर लगते हों उसे
पर संपण जाति का राग कहते है ।
घाडव-पाडव--जिस राग के आरोह्द तथा अवरोदद में छे: ग्वर लगते हों, उसे
घाडव-पाडव जाति का राग कहते हैं ।
आओ डव-गडव--जिस राग के आरोह तथा अवरोह में पांच स्वर लगते हों उसे
ओऔडव-औडव जाति का राग कहते हैं ।
रागों की तीन मुख्य जातियों के मिश्रण से निम्नलिखित जातियां
और बनती हैं:--
पाडव-संपग--जिस राग के आरोह में ६ स्वर तथा अवरोह में ७ स्वर लगते हों
उसे पाडव-सप्ण जाति का राग कहते हैं ।
औडव-संपण--जिस राग के आरोह में ५४ स्वर तथा अवरोह में ७ स्वर लगते हों
उसे औडव-संपर्ण जाति का राग कहते हैं ।
संप्ण-पाडव--जिस राग के आ्रारोह्द में ७ स्वर तथा अवरोह में ६ स्वर लगते हां
उसे संपण-पाडव जाति का राग कहते हैं ।
संपू्ण-डव--जिस राग के आरोह में ७ स्वर तथा अवरोह में ५ स्वर लगते
हों उसे संपण-आऔडव जाति का राग कहते हैं ।
पाडव-औडव--जिस राग के झ्ारोह में ६ स्वर तथा अवरोह में ५ भ्वर
लगते हों उसे पाडव-अडव जाति का राग कहते है ।
ओऔडव-पाडव--जिस राग के ह! में ५ स्वर तथा अवरोह में ६ स्वर लगते
हों उसे औडव-पाडव जाति का राग कहते हैं ।
राग के महत्वपूर्ण स्वर--रागों की रचना कान और हृदय को प्रसन्न करने वाले
म्वरसमूहू से होती है । जिसका यथाथे दिग्द्शन चार प्रकार के स्वरों से होता है,
(१) वादी स्वर (९) संघादी स्वर (३) अनुवादी स्वर तथा (४) विवादी स्वर ।
वादी स्वर:--राग में आये हुए स्वरों में वह एक स्वर जो और स्वरों की अपेक्षा
राग के रूप को प्रकट करने में सबसे अधिक महत्व रखता हो, वहीं स्वर उस राग का
वादी स्वर होगा ।
सम्वादी स्वर--राग में आये स्वरों में एक ऐसा दूसरा स्वर जो वादी स्वर
के काय में परी सहायता प्रदान करता दो, वहीं स्वर उस राग का संवादी स्वर
होगा ।
अनुवादी स्वर--राग में आये वद्द सभी शेष स्वर जो वादी तथा सम्वादी स्वरों
को सहायता प्रदान करते हों, वे सब स्वर उस राग के अनुवादी स्वर होंगे ।
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