आर्यभट्ट विज्ञान पत्रिका | Aaryabhatt Vigyan Patrikaa

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Aaryabhatata Vigyan Patrikaa by डॉ. विजय शंकर

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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३े--नवीन वृक्षो का न उगाया जाना । ४--कोयले डीजल को ई धन के रूप में प्रयोग में लाने से निकलने बाली गेसें । ४--औद्योगीकरण । ६-परमाणवीय हथियारों का युद्ध में प्रयोग । चायु प्रदूषण के प्रभाव बाउु प्रदूषण का स्वास्थ्य पर अत्यधिक कुप्रभाव पड़ता है । वायु प्रदूषण के कारण निम्न भयंकर रोग उत्पन्न होते हैं-- १--हृदयाघात । २- रक्‍्ताल्पता । ३--नेत्र व श्वास रोग । ४--फेफडो की आवसीजन धारण क्षमता में कमी अर्थात्‌ फेफडो की बीमारी । भ५--फेफडों मे सुजन आना । ६--त्वचा की बीमारी । ७-कसर। बायु प्रदूषण पर नियन्त्रण तथा रोकथाम के उपाय १-उद्योगो से धुँआ निकालने वाली चिमनियों को और अधिक ऊँचा बनाकर वायु प्रदूषण की सान्द्रता को पृथ्वी तल पर कम किया जा सकता है । २--कोथला डीज़ल आदि का प्रयोग ई घन के रूप मे न किया जाये । ३-बृहद-उद्योगों से निकलने वाली गैसो को वायुमण्डल में मिलने से पहले शुद्ध किया जाए। ४--रेलवे मोटर-गाडी तथा बडे उद्योगो में कोयले या डीजल के स्थान पर बिजली का प्रयोग किया जाए । प--अधिक वृक्ष रगाये जाये तथा वनों के कटान पर प्रतिबन्ध लगाया जाए । ६--जनसब्या वृद्धि पर नियन्त्रण किया जाए । २-जल प्रहुषण जल प्रदूषण को समाप्त तो नहीं किया जा सकता लेकिन इसको कम अवश्य किया जा सकता है। जल प्रदूषण को कम करने से पहले हमें यह जानना भी नितान्त आवश्यक है कि इसके मुख्य कारण क्या हैं ? इसके मुख्य कारण निम्न प्रकार हैं-- १--पहाड़ो पर भूमि के कटान के कारण २--औद्योगिक उत्प्रवाहो का समीप के सरिता-सरोवर में गिरना । १ 1




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