महावीर वाणी | Mahaveer Vani

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Book Image : महावीर वाणी  - Mahaveer Vani

लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :

डॉ० भगवान दास - Dr. Bhagawan Das

No Information available about डॉ० भगवान दास - Dr. Bhagawan Das

Add Infomation AboutDr. Bhagawan Das

वेचरदास दोशी - Vechardas Doshi

No Information available about वेचरदास दोशी - Vechardas Doshi

Add Infomation AboutVechardas Doshi

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
[ १४५ 1 “महावीर-वाणी” के द्वारा, जैन सम्प्रदाय का ध्यात इस झओर झाकृप्ट होगा, और सम्प्रदाय के माननीय विद्वादु यति जन, इस, महावीर के, समाज और गाहंस्थ्य के परमोपवोगी उपदेग, आदेश का जीर्णोद्धार अपने अनुयायियो के व्यवहार मे करावेगे । अन्त मे, इतना ही कहना है कि में; ्रकृत्या, समन्वयवादी, सम्वादी, सादृश्यदर्शी, ऐक्यदर््ी हूँ; विरोवदर्णी, विवादी, वैदृद्या- स्वेपी, भेदावलोकी नही हूँ । मेरा यही विद्वास हैं कि सभी लोक- हितेच्छु महापुरुषों ने उन्ही उन्ही सत्यों, तथ्यों, कल्याण-मार्गों का उपदेदा किया है, जीवन के पूर्वार्ष मे लोक-यात्रा के साधन के लिये, और परावें में परमा्थ-मोक्ष-निर्वाण-नि-श्रेयस के सादन के लिये: भारत में तो महर्पियों ने; महावीर स्वामी नें; वुद्ध देव ने; सुल्य मुख्य शब्द भी प्राय. वहीं प्रयोग किये है। महावीर-वाणी' के अन्तिम विवाद सूत्र' में, कई वादों की चर्चा कर दी हैं। और उपसंहार वहुत अच्छे दाव्दों में कर दिया है-- एवसेयाणि जम्पन्ता, वाला पंडितमाणिणो, निययानियय सन्तें, अयाणन्ता अवुद्धिया । अर्थात्‌, एवमेते हिं. जल्पन्ति, बाला: पण्डितमाविन , नियताउनियतं.. सन्त, अ्जानन्तों ह्यदुद्धय.। 1




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now