राजस्थान पुरातन ग्रंथमाला | Rajsthan Puratan Granthmala
श्रेणी : धार्मिक / Religious
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
184
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about आचार्य जिनविजय मुनि - Achary Jinvijay Muni
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)न का
फिगर जोन योर उनके ग्रन्थ
दूसरे उपयर्गरी रचनाएं: “-
१ निमल,र से ३७०४ माघ, छन्द वहां, दोहा १३, निर्मलकों सतोत्व रखाफी कहानी 1
२ सतवती, र स ३६७८, छुन्द वही, दोहा ५२, सत्तचत्तीकी राकी कहानी ।
इ. तमीमश्रनसारी,र स 3७०२, चौंपाई 9५०, तमीम 'अनसारीफ पत्नीकी सनात्व
हछाफी कहानी ।
४ शालयती, र स १६८४, छुन्द यहीं, दोहा २५, शीलवतीकी सतीत्व रंक्ताफी कहानी
४ दिनमें रचित ।
५ कुलयता, स 1६९३ पोप॑, छुन्द वही; दोहा ४७ कुलवतीफी सतीत्व रखाकी कहानी ।
स्वतन्त्र कहानिया-
१. यहकियां विदही, रे स 9६८६, चौपाइ १२५, एक लिन में रंचित, ईश्वर प्रेममें पागल
धर या पिरहींके एक लोमीके उढारकी कद्दानी ।
२. भरदेसरकी कद्दानी; र स १६९०, दोहा चीपाई, दोहा २३, दो प्रहरमें रचित ।
मुक्तक शगार चर्खुन, १, पर्सनार्मक, २, रीति फाव्य वर्सनात्मक --
१. यारदमासा, रस 'नान, सत्रैया १५, पियोग श्र गारका बारहमासा 1
२ मय बररा, र से ज्ञात, वरवा ७०, सग्रोय पियौग पद ऋतु वर्यन ।
है. पर ऋतु यरया,र से श्वलात, बरया २९, पद ऋतु वर्णन ।
४ पर करतु परम, रे से श्लात, पवमस पू २ पद ऋतु घणन ।
( पिराषता--'थत पदोंदो श्रेडररण जौ सारित्रे 1
सीं यरया सप है दे मरे पिचारिश्े ष
५. पूचटनामा, र स अज्ञात, दोद्दा चौपाइ ४,
पृष्ठ, यौवन च घूघटका दर्यल 1
६ सिंगारनसद,र से १६७३, दोहा कण,
स्थियोंके शद गारका चणन, ३ दिनमें रचित ।
है माविसत, र से १६७१, पृष्ठ ६, मद सार रख, २ दिनमें रचित ।
से पिरदसत, रे से १६७१३ दादा, १००
१ प्रसनामा, रे से अअपात, सौपाइ २
१० झलक नामा, रे से श्रचाठ,
११
भर
जे
४
# पियोग श्र सार, 'थ लिनमें रचित ।
१ “घूघट रसेल दुरस परसाय” ।
चौपाइ ९३, घनझोंकि सीदर्यका बन ।
द्रसन नामा, रे से अपात, लौपाइ ३३ |
भारदमाग्ा, र से अनात, पुष्ल रे, पुषिनिंग छन्द ।
मंमसायर, र से १६९४, दादा >४, प्रेममदिमा ।
वियागसार, र से १9१४, रादा, सर्दया, पप्द १६, दिरह बणून ।
५ कादपरलाल,र सा अनात, किस स्वैया, पुन डर, थ
गाररस सुक्तक छुन्द । परतिमें
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