युग चित्र | Yug Chitra

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Yug Chitra by अम्बिका प्रसाद मिश्र - Ambika Prasad Mishrश्रीलक्ष्मीचन्द्र वाजपेयी - Shreelakshmichandra Vajpeyi

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अम्बिका प्रसाद मिश्र - Ambika Prasad Mishr

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श्रीलक्ष्मीचन्द्र वाजपेयी - Shreelakshmichandra Vajpeyi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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विज्ञान और मानव व्यवहारों के पंडित हैं श्रौर इनमें से कुछ अपने युग के श्रेष्ठ विचारक मी हैं | इन सब गुर्णों का एक साथ संनिवेश नवीन हिन्दी कहानी लेखकों में भले ही उस मात्रा में न हो जिसमें उक्त पाश्चात्य लेखों में है, किन्तु दो बातें बहुत ही स्पष्ट हैं | एक यह कि हिन्दी में इन गुणों का विकास श्राशामद है और यदि हिन्दी के पत्र तथा पाठक अनुवाद की चीजों को छोड़कर, और साथ ही “सस्ती-सामग्री' का तिरस्कार कर निरन्तर एक विशिष्ट वौद्धिक स्तर की कलापूर्ण कहानियों का आगह करते रहें, और प्रेम-कहानियों का पिंड कुछ दिनों के लिए छोड़ दें तो हिन्दी कहानी फिर से भारतीय कहानियों की पुरातन कीर्ति प्राप्त कर सकती है | दूसरी वात यह कि हिन्दी कहानियों में स्वतंत्र कथा-शैली ; स्वतन्त्र विचार-दृष्टि और स्वतन्त्र जीवन-चिन्रण की सत्ता का अभाव “नहीं है । वर्तमान समय में, जब मशीन पद्धति पर काती और बुनी कहानियाँ विदेशों से आकर हम पर छापा मार रही हैं, तर जब हिन्दी कहानी- लेखकों के सम्मुख अन्चुर परिमाण में आने वाली इस विदेशी वस्तु को हिन्दी साँचा देकर खपाने में विशेष कठिनाई नहीं है, तब हिन्दी कहानी- कार स्वतन्त्र साघना श्रौर स्वतन्त्र निर्माण के लिए. क्यों और किस प्रकार उत्साहित हों ? दूसरी श्रोर यदद भी कहा जाता है कि संसार की मनुष्य जाति इस समय झपना पार्थक्य दूर कर, एक सी ही वस्ठ स्थिति का सामना कर रही है । उसके सामने एक सा ही जीवन, एक सी ही समस्याएँ अ्तएव एक सा ही समाघान उपस्थित है। ऐसी अवस्था में हिन्दी कहानियों की स्वतन्त्र स्थिति को अवकाश कहाँ है श्रौर श्ाव- र्यकता भी क्या ? एक ही प्रकार का प्रचार-कार्य संसार मर के कहदानी- ब्श को करना है, इस समय मौलिकता की माँग असामयिक और च्य किन्तु मेरे विचार से इस प्रकार की धारणा एकदम निराधार श्र




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