विदेशी विनिमय | Vedeshi Viniyam

Vedeshi Viniyam by दुलारेलाल भार्गव - Dularelal Bhargav

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(१३) लिये मुफे आशा है कि इस पुस्तक से कॉलेज के विद्यार्थियों को भी विशेष लाभ होगा । ँगरेज़ी-भाषा में इस विषय पर कई उत्तम पुस्तकें प्रका- शित हो चुकी हैं, परंतु मेरे देखने में हिंदी-भाषा में ऐसी एक भी नहीं आई, जिसमें यह विषय अच्छी तरह से प्रतिपादित किया गया हो । हिंदी-भाषा में अथे-शाख्र पर मौलिक पुस्तकों की--ख़ासकर विदेशी विनिमय-संबेधी पुस्तकों की--भारी कमी प्रत्येक शिक्षित व्यक्ति को अवश्य ही खटकती होगी | बड़े हर्ष की बात है कि लखनऊ की सुप्रसिद्ध गंगा-पुस्तकमाला फे उत्साही अध्यक्ष श्रीयुत दुलारेलालजी भार्गव ने इस अभाव की पूर्ति की श्र यथेष्ट व्यान देना आरंभ किया है । आशा है, अन्य प्रकाशक भी इस ओर ध्यान देंगे । अथशाख्र-संबधी विषयों पर आठ-दस पुस्तकें लिखने का मेरा विचार है । यह पहली पुस्तक है । दूसरा ग्रंथ “भारत के उद्योग-घंघ” भी शीघ्र ही प्रकाशित होनेवाला है । यदि हिंदी- प्रेमी सजनों ने इन प्रंथों को अपना कर मुभके उत्साहित किया, तो में अन्य ग्रंथ भी यथावकाश शीघ्र लिखने का प्रयत्न करूँगा | 'इस पुस्तक का अधिकांश भाग ज्ञानमंडल काशी से प्रका- शित 'स्वाथ”-नामक मासिक पत्र में लेखमाला के रूप में निकल चका है । इसके दो अध्याय 'माघुरी” में भी प्रकाशित हुए थे । परिशिष्ट के प्रथम तीन श्रष्याय क्रमश: “साहित्य,




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