तीर्थकर महावीर भाग - 2 | Tirthkar Mahaveer Bhag - 2

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Tirthkar Mahaveer Bhag - 2  by जैनाचार्य श्री विजयेन्द्रसुरि - Jainacharya Shri vijayendrasuri

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(३ 2) सेन ८, सुराती ३४८, सुहष्पा,सुमाव देश, सुगाता ३१८, सुरंग इश्स, सुदरोन शद5, सुयदंग 32८, सुधर्मा ३५८, सुनएप्र 3८, सुनदय् इशप, सुप्रतिट 5८, सुपाइइसार शरद, सुभद सशक, सुभदा इ३६, सुमना व ५१, सुमनभद्य इशद, सुसरता देह, सुयगा 3२१, सुगायय 52४, शरिरेसपल ५३, पुरिगन्दन ३६०, इससे ६० । शावक-धाषिका अआयफर्धार् ३६३ असुयत ३९६, युरामत ३६७, शिजायत 3६१, प्रतिमा ३3०, सतिणार 23४, कशुधतों के अतियार ३०१, शुणपर्ता के भ्तियार 5१२, फर्मं-संपंधी १३ तियार ३१४, पाशिउ्य- सर्पन्पी श झतियार 5.१३, सामान्य £ अतियार ३१६, शिक्षा चर्तों फे '्रतिघार ३१७, संलेग्पना के २ शतिचयार ४०३, जान के ८ 'चतियार ४०४, दरान फे ८ घतियार ४०१, चरित्र के द 'यतिचार ४०६, एप के १२ अतिघार ४०१, श्नशन ५०, उसोइरीतप ४१३, प्सिसंचेप ४१, रसपरिस्यागतप ४१६, फायरलेशन्तप ४१६, संलीनता तप ४१६, प्रापश्चित ४१७, पिनयत्तप ४१३, पयायृस्य ४१६, स्वाध्यायतप ४२०, ध्यानतप ४२०, फायोग्सग तप ४२०, यीये के दे ्तिचार भर१, सम्यफ््य के £ शतिचार ४२१ । आनन्द नर घवत्य-राब्द पर विचार ४४२, 'घार्मिक साहित्य (संस्थत) ४४, थीद्ध-साहित्य ध४१, पाली ४४५, इतर साहित्य ४४९, कुछ आधुनिक विदान ४्श३ | कामदेव ४५६ ग्युढनी पिता ५५




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