ज्ञान सरोवर भाग 3 | Gyansoravar Bhag 3
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
10 MB
कुल पष्ठ :
362
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)इह्यांद फी पहानी पर
हवा के घेरे से वित्कुल बाहर हो जाती होगी और धीरे-धीरे वहां पानी की कमी पढ़ने
लगी होगी । तब पानी की उस कमी को पुरा करने के लिए वहां के इंजीनियरों ने
वडी-वडी नहरें बना कर मगल के उत्तरी श्र दक्षिणी धरुवो से पानी लाने का प्रवस्ध
फिया होगा ।
लेकिन ग्राजकल के ज्योतिपियों की राय है कि मंगल पर कोई नहर नही है ।
कही-कह्दी धब्बे जरूर हैं, जो साफ नहीं दिखाई देते । उन्हें देर तक देखने की कोशिश
भे आंखों को यह धोखा हो जाता है कि वहा लकीरें हैं । इस बात को सिद्ध करने के लिए
एक ज्योततिपी ने एक कागज पर श्रलग-ग्रलग, बहुत से छोटे-छोटे धब्बे लगा दिए श्र
उसको बहुत दूर रख कर उसने लोगो से देखने को कहा । बहुत दूर रखें जाने के कारण
कागज के वे नन्हे धब्बे दूरबीन से भी ग्रलग-ग्रलग नहीं दिखाई दिए । ऐसा लगा कि
कागज पर लम्बी सीधी लकीरे खिची है । इस तरह उस ज्योतिषी ने साबित किया कि
मगल पर जो काली लकीरें दिखाई देती हे, वे लकीरे नही हे, बल्कि मंगल की सतह
के धब्बे है ।
श्राजकल के ज्योतिषी यह भी नहीं मानते कि मंगल पर जीव-जंतु हो सकते है,
क्योकि उनकी राय में वहां की हालत ऐसी नही है जिसमे कोई जानवर जिन्दा रह सके ।
इसमें कोई संदेह नहीं कि मगल बहुत ठंडा है । वह पृथ्वी की श्रपेक्षा सुर से
श्रधिक दुर है। पृथ्वी को सूर्य की जितनी गर्मी मिलती है, मगल को उसकी श्राधी
भी नहीं मिलती । इसलिए मगल पर गर्मी की दोपहरी मे भी कम-से-कम उतनी ठंड
होती होगी, जितनी भारत में फरवरी के महीने में सुबह-शाम होती है ।
मगल पर हुवा का घेरा भी इतना पतला होगा कि वहां सांस लेना नामुमकिन
होगा । पृथ्वी के पांच ही मील ऊंचे पहाड़ों पर चढ़ने में श्रादमी को नाक में हवा से भरा
हुमा तोबड़ा वांध कर, नकली तरीके से सांस लेना पड़ता है । फिर मगल पर तो
हुवा इतनी पतली होगी जितनी पृथ्वी पर लगभग 171 मील की ऊचाई पर होती है !
यह सही है कि जब मंगल के उत्तरी या दक्षिणी श्रुव की बर्फ पिघलती दिखाई
देती है, तब उसके निचले भाग की शोर हरियाली की लकीर-सी उमरती दिखाई
देती है । इसका यहूं मतल्व लगाया जाता है कि बफँ पिघलने पर जब पानी श्ुवो
की श्रोर से बीच की श्रोर बहता है, दो वहां हरी काई, घास-पात या अनाज की फसलें
उग जाती होंगी । लेकिन इसका कोई पवका सबूत भ्रभी तक नहीं मिला है ।
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