धर्म परीक्षा | Dharm Priksha

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Dharm Priksha  by पन्नालाल बाकलीवाल -Pannalal Bakliwal

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about पन्नालाल बाकलीवाल -Pannalal Bakliwal

Add Infomation AboutPannalal Bakliwal

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
(च्त चमुद खऱरूप है, झुमेरपत कठोर दें बोर एंद मोजनेदी है । इस कारण चन्द्र. सूचे श्रमुदर घुमेर ओर इंद्र उच रामाकी चमान महों हो छके । क्योंकि उच्च राजामें हपयुक्त अवगुणोंमेंखे एक भी लबंगुण नहीं था ॥ २५ ॥ यद्यपि बह राजा पार्थिव था, परतु पामिव कहिये पृथ्यीका विकार पाषाणधादि जढ़रूप अडानी नहीं था, क्सु दत्तम ज्ञानका घारक था । तथा वह राजा पावन (पवित्र) था, परंतु पावन कद़िये पबनका विकार अस्थिर नहीं था, अर्थात्‌ स्थिर चित्तताढा था । तथा बह राना कलानिषान ( कलाओंका निधान चतुराइयोका शागर ) था, परंतु कडानिषान कढिये चन्द्रमाकी रदूश कली नहीं था, अर्थात्‌ घवंदोषरद्वित था । इचके शिवाय बह राजा दूषवद्धन (घर्मका बढ़ानेवाका) द्ोनेपर भी दूषवद्धन कडिये महादेवकी तर खीक अनुरागो नहीं था, किंतु श्रत्यानुरागी था ॥ ३६॥ ठश्न राजाके जिन घमे भ्म्बन्धो पारमार्थिक तथा च्ांबारिक विद्याभोकी जानकार, और बृद्धिरूप है कामरूपी पवनका वेग जि्के ऐश, व'्युवेगा नाम बिद्याचरी अतिशय प्यारी रानी होती भें 1. ३५७) किखी किछी खरोमें नेन्नोको इरण करनेवाला रूप होता है जौर किल्ली किसी खीमें बिद्वानोंकर प्रराशनीय शी भी दोता है ! परंतु 8४ बायुवेगा रानी में मनन्यलम्य कदिये अन्य किद्ी ल्रीमें नहीं पाया जाव ऐद्ा महाकांति श्द्डित रूप ओर शी दोनों होते मये ।'३८।॥। मदादेवके पारवतीकी चटदा, विष्णुके लकष्मौकी श्दश, दौपकके शिखाकौ तरदष, थाधुके दयाकी च्रमान, चन्दमाके चादनीकी श्वमान, सूयेके प्रमाकौ श्रमान ठच्न जितशात्रु रानाके बह एगाध्ती अमिलरूप (दो देश दोनेपर भी एक रूप) प्रिया होती मई 1 ३९।। गाचाये उत्प्रेशा बरते हैं कि,- विधाताने उच्च महाकांतिवाढी वायुवेगाकों बनाकर वधवकी रक्षा




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now