बिहार एक ऐतिहासिक दिग्दर्शन | Bihar Ek Aitihasik Digdrshan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
12 MB
कुल पष्ठ :
410
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)चौदहवाँ अंघ्याय -
पंठान-साम्राज्य का''उदय और जस्त:(,१५१८--१५७६ ई० )
विहार के लोहानी अफगान ; चागर ; समुगछों की तीन पूर्वी
नचढ़ाइयाँ, झोर खाँ का उदय; झेर--विहार का बेताज सुल्तान;
झेर खाँ का वंगाल-तिरहुत्त जीतना ; हुमार्यू की बज्ञाल-चढ़ाई ; गोड
की गद्दी पर शेरशाह; शेरशाह--उत्तर भारत का सम्नाद; शेरशाद
की शासन-व्यवस्था ; सछीमशाह; अदाली ; हुमारयूँ की वापसी
औरः सत्यु; हेमू; सुलेमान कर्रानी ; उड़ीसा का पतन ;' अकबर
का विहार-विजय । « २१९-२७७
पन््द्रदचाँ अध्याय
' सुगरू-साम्राज्य का सम्द्धि-युग ( १५७६-१७२० ई० )
विहार का सूवा ; कठमसुछों का दिद्रोह; राजा सानसिंद;
झारखंड और पठामू; यूरोपियन व्यापारी; 'गुरुगोविन्द््सिहद ;
अजीमुश्दान और सुर्शिदकुली खौँ ; फररुखसियर । २५५-२७०
: सोलद्चाँ अध्याय '
मराठे और अंग्रेज ( १७२०-१७६६ ई० ) ..
राजनीति का केन्द्र दिल्ली से पूना जाना; अलीवर्दी खौँ ;
मराठों की पहली चढ़ाई ; रघुजी भोंसढे और वालाजीराव पेशवा ;
रघुजी की दूसरी चढ़ाई; मराठों का बंगाल-बिहार की सौथ पाना डर
, माँसीसी,'और अफगान-आतंक ; मराठा-दरवार की दिवादिया
१४
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