जैन शिलालेख संग्रह भाग 2 | Jain Shilalekha Sangrah Bhag 2

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Jain Shilalekha Sangrah Bhag 2 by विजयमूर्ति शास्त्राचार्य - Vijaymurti Shastracharya

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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चैकुण्ठगुफाका लेख श्र +9 9 छैडे ««« ««« खारवेठका राज्यामिषेक 9 प्रैछेरे ««« ««»« सुषिक-नगरपर आक्रमण 3 १९९. ८ ««« राष्ट्रिकों और भोजकोंका पराजय १9 ६७. «०० ««» राजसूय-यज्ञ से पद ००० ««»« संगधपर प्रथम बार आक्रमण 9 $६१ ««« «+«« उत्तरापथ और मगधघपर, आक्रमण, पाण्डवराजसे अदेय ( नजराने ) की प्राप्ति ध 9६०. ««« -«« शिलालेखकी तिंथि ही डे वेकुण्ठ ( स्वगेपुरी ) गुफा उद्यणगिरि--प्राकऊुत । [ रूगमग 9१६७४ मौयैकारू ] अरहन्तपसादने कठिंग***'य***'नान॑ छोनकाडत रजिनोउस ”** हेथिसहसे पनोतसय'”''कठिंग'' वेठस अगमहि पिडकाड [ इस दिलालेखसें भहन्तोंकी कृपाको प्राप्त गुहानिर्माण ( छह०&ए8- भ०७ ) बताया गया है । इस छेखका शेषभाग इतना टूटा हुआ है कि चह पढ़नेसें नहीं जासकता । वेकुण्ठ शुफा, जिसके नामसे यह दछिठालेख श्रसिद्ध है, राजा लखाकके द्वारा अन्तों और करिंगके श्रमणोंके लाभ था उपयोगके छिये बनाई गई थी । 1] [ग्&88, एप, फ. 1014] च्े सथुरा--माकृत । [ बिना काठनिर्देशका ] लेकिन करीब ३५० है० पूर्वका [ चूलदर ]- १ पितकड़ 1 व है 335. ऋणें शा. 0. 1074.




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