जातक भाग २ | Jaatak Part 2
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लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
14 MB
कुल पष्ठ :
488
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)शर्ड रे.
१४ दे,
१४४,
४५.
र्ह६,
१४७.
शरद,
१४६,
[ है 1
विषय
सिगाल जातक दर
[ गीदड़ों को मारने की इच्छा से एक धूत झादसी ने
मुर्दे का स्वांग किया । ]
विरोचन जातक
[ मोदड़ ने शेर की नकल करके पराक्रम दिखाना चाहा ।
हाथी ने उसे पाँव से रोंद दिया, उस पर लीद कर दी । |]
तडूद्ठ जातक
[ब्राह्मण अग्नि-भगवान को गो-मास चढ़ाना चाहता
था। चोर ही उस बेल को मार कर खा गए । ब्राह्मण
बोला--हे अग्नि भगवान् ! श्राप श्रपने बैल की रक्षा भी
नहीं कर सके। शझ्ब यह पूँछ ही ग्रहण करें ।]
राघ जातक . .... ..
[ पोट्टपाद श्रौर राध नाम के दो तोते ब्राह्मणी का
झनाचार प्रकट करने के बाद उस घर में नहीं रहे। ]
काक जातक
[ कौवी को समुद्र बहा ले गया । कौवों ने क्रोधित हो
उलीच-उलीच कर समुद्र खाली करना चाहा । ]
पप्फरत्त जातक
[ स्त्री ने केसर के रंग का वस्त्र पहन उत्सव मनाने की
जिद की । स्वामी को चोरी करनी पडी । राजाज़ञा से
उसका बघ हुमा । ]
सिगाल जातक
[ मांस-लोभी सियार हाथी के गुदा मार्ग से उसके पेट
मे प्रविष्ट हो वहां कद हो गया । ]
एकपण्ण जातक
[ बोधिसत्त्व ने नीम के पौदे के दो पत्तों की कड़वाहट
चखा कर राजकुमार का दुष्ट स्वभाव दूर किया 1 ]
«हरि
« रै १६
११८
« हरैरेर
«. रैरेड
«. रैरेप
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