अनुव्रत की दिशाएं | Anuvrai Ki Disha Yen
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
162
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)अणुच्चत एक पूर्णाग आन्दोत्नन / ४
आवाज नहीं अपितु मानव-धर्म की आवाज है।
अपुद्नत ने क्या किया?
लोग पूछते हैं-- क्या आवाज उठाने मात्र से अनैतिकता मिट जाएगी? सवाल
'ठीक भी है ठीक नहीं भी हैं। आवाज म ताकत हा तो उसमे बड़े-बड़े सिहासन
भी हिल सकते हैं। आज यदि नैतिकता दुर्चल है ता इसका एक कारण यह भी है
कि बडे-यडे लोग चुप बैठे हैं । जब आदमी स्वय यईमान हो तो वह दूसस को क्या
उपदेश द सकता है? शायद नैतिक मूल्या क प्रति चुप्पी का यही सवस यडा कारण
है ।नैतिक आवाज वही व्यक्ति उठा सकता हैं जा स्वय नैतिक हा । उसी की आवाज
का प्रभाव भी हा सकता है ।
अणुब्रत-आन्दालन ने नैतिकता की आवाज उठाई हे । दूसर शब्दा में यह
आवाज अणुब्रत-अनुशाम्ता आचार्यश्री तुलसी ने उठाई है । आचार्य तुलसा शायद
इसीलिए इस आवाज का उठा सके, चूकि य॑ स्वय सत हैं हिसा और परिग्रह से
मुक्त हैं। आज यह एक कठिनाई हा गई है कि धर्म और परिम्रह म कुछ समझौता
'हो गया है। अधिकाश धर्म और धमाचार्य पैस स धर्म की बात का मान्यता देने लगे
'ह। आचार्य तुलसी को यह विचार परम्परा स॑ प्राप्त है कि पस स धर्म का काई
समन्वय नहीं है। कहीं यदि पैसा जीवन-घिर्वाह के लिए अमिवार्य हां भी जाता है
ता बह कवल अनिवार्यता है धर्म नहीं है । इसीलिए उनके आसपास पेसा धर्म का
मुखौटा पहनकर 'उच्च आसन पर विराजमान नहीं हो सकता । आचार्य तुलसी एक
अकिचन एव परिव्राजक सन्यासी क साथ-साथ विचार मनीपषी भी हैं । इसलिए व
अणुब्रत-आन्दालन का प्रवर्तन कर पाए।
'लाग यह भा पृछते है-क्या अणुब्रत-आन्दालन समाज म काई परिवर्तन कर
सका हैं? निश्चय ही अणुग्रत-आन्दोलन ने एक वातावरण बनाया है । आज जबकि
मैतिक मूल्यों के प्रति सर्वत्र मौन छाया है अणुब्रत-आन्दालन उस मौन का ताड
रहा है। आचार्यश्री का कहना है--पहली समस्या ता यह हैं कि लोगा को नैतिकता
के प्रति श्रद्धा ही हिल गई। निश्चय ही यह एक खतरनाक यात ह। अनैतिक
आचरण अवश्य हो युरा है पर नैतिकता के प्रति श्रद्धा का डोल जाना उसस भी
ज्यादा उुरा है । अश्रद्धा क्या उत्पन्न होती है इसका जवाब दंत हुए वे कहते है--यह
हमारी अपनी मानसिक कमजारी ता हैं ही पर जय आदमी वड-यड लागा का
अनैतिक आचारण करते दयता है उन्ह फलता-फूलता दखता ह ता उसका
विश्वास खडित हा जाता है । अत इस यांत का आवश्यकता है कि समाज मे नेतिक
मृल्या की स्थापना हो। सभी स्तर पर लाग नैतिकता फा पालन क्र । पर बद भी
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