वेद कालीन राज्य व्यवस्था | Ved Kalin Rajya Vyavastha

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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बेदिक साहित्य और राजनीतिक सिद्धान्त दे के रचना“काल के निर्धारण हेतु सभी प्रयत्न विफल होंगे भौर इस सम्बन्ध में सभी प्रयास व्यथं सिद्ध होंगे। ः परन्तु विद्वानों का दूसरा समुदाय इस पण्डित समाज के मत से सहमत नहीं है। यह विद्वत्‌-मण्डली वेद को भ्रपौरुषय एवं अनादि मानने के पक्ष में नहीं है। इन विद्वानों के मतानुसार वेद ऋषियों के चिन्तन का फल है। वेद उन्हीं को कृति हैं। वेद-मंत्रों का सर्जन ध्रनेक ऋषियों द्वारा समय-समय पर हुभ्रा है। ये मंत्र बहुत समय तक उस काल की जनता में प्रवाहित रहे। समुचित समय के उपरान्त इन वेद-मंत्रों को संगृहीत कर वेदत्रयी--ऋू, यजु: भ्रौर साम--का निर्माण किया गया। ये वेद-मंत्र प्राचीन काल में कद श्रेणियों में विमक्त होकर श्रनेक ऋषि-परिवारों की सम्पत्ति रहे हैं। इन परिवारों में पिता-पुत्र अथवा गुरु-शिष्य परम्परानुसार ये श्रेणिबद्ध मंत्र जीवित, एवं जाग्रत रूप में प्रवाहित रहे । इसी भ्राघार पर वेद श्रुति नाम से प्रसिद्ध हैं। इन ऋषि- परिवारों के झादि ऋषि गृत्समद, विश्वामित्र, वामदेव, भ्रत्रि, मरहाज शभ्ौर वसिष्ठ मुख्य हैं। समय व्यतीत होने पर इन मंत्रों (ऋचाओं) का संकलन कर ऋग्वेद का निर्माण किया गया । इस प्रकार ऋग्वेद संकलित ग्रन्थ है। वह किसी एक व्यक्ति की रचना नहीं है श्रौर न किसी एक व्यक्ति विशेष के चिन्तन का ही फल है; और इसी प्रकार ऋग्वेद किसी एक मिश्चिब्व समय की कृति भी नहीं है। कतिपय पाश्चात्य विद्वानों का मत है कि ऋग्वेद के द्वितीय मण्डल से सप्तम मष्डल तक का अंश प्राचीनबम है। नवम मण्डल का निर्माण इन्हीं मण्डलों की विधयवस्तु के प्राघार पर हुआ है। झाठवाँ मण्डल मी द्वितीय श्रौर सातवें मण्डल पर झाधारित बतलाया गया है। इन विद्वानों का मत है कि दसवाँ मण्डल अझ्रन्य सभी मण्डलों की श्रपेक्षा नवीन है, प्रथम मण्डल मिश्रित है। इस प्रकार ऋग्वेद ने श्रपने प्रस्तुत कलेवर को घारण करने में समुचित समय लिया होगा। वह कौन सा समय होगा, इस विषय में मी इन विद्वानों में एकसत नहीं है। परन्तु इसमें समी एकमत हैं कि वह समय गौतम बुद्ध के उदय-काल से पूवें भारतीय भायों के मारत-प्रवेश के पश्चात्‌ की श्रवधि में कोई समय रहा होगा। कतिपय विद्वानों ने ऋग्वेद के समय के विषय में लिखा है कि ऋग्वेद - के रचना-काल की खोज करना व्यर्थ प्रयास करना है; क्योंकि इस प्रश्न का निश्चित उत्तर प्राप्त होना भ्रसम्मव है। इतना होने पर मी कुछ विद्वानों ने ऋग्वेद के रघना-काल के निर्धारण करने का प्रयास किया है। प्रसिद्ध विहान ढा० मेक्स मूलर ने ऋग्वेद का रचना-काल,




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