नयी तालीम सर्व सेवा संघ की मासिकी | Nayi Talim Sarv Seva Sangh Ki Masiki
श्रेणी : इतिहास / History
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
11 MB
कुल पष्ठ :
611
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)कई साल हुए मैं बेरल गया था। एक दिन सुबह सिवेत्द्रमू मे राज्य के
सचिवालय वी ओर जाते हुए मैन रास्ते स भीड एकवन दखी! पुठने पर मालूम हुआ
कि माटर और साइविय वी टरकर हो गई हैं। तीन-चार घट बाद जब मैं उधर से
चापस लौटा तो उतनं। हो भीड़ जमा थी। पुलिसवाले जाँच-पडताल कर रहे थे ।
मैनें अपनी मोटर थोड़ी घीमी कराई और पास खड लागा से पूछा --
“भाई कया वात हूं ? '
“कुछ नहीं, एव ' एक्सीडेण्ट ' हो गया हूं । ”
“पर इतनी दर से यह भोड क्यो यडी हूं * ”
* माटुब, इनका और कास हो कया है।
“क्या, यहू कुछ काम काज नहीं करते ?
* नही, यह सब पढ-लिखे बकार हैं। इसी तरह रोज कही न कही घूमते
फिरते अपना वन गुजारे है।
मैं यह सुनवर विलडुल ठडा हो गया। मुझ लग कि बस यहीं सिलसिला
धीरे धीरे सारे माएत में फेलववाल। है। केरल राज्य शिक्षा मे बुत आग सना
“जाता हूं , वयाकि वहाँ वी सासरता लंगमग ९० प्रतियत हैं। वहीँ को शिक्षित जनता
था जव यह हाल' हूं ता फिर दूसरे राज्या वी वदठी साक्षरता और शिशा के वाद
दूसरा नतीजा कया निंतेगा रे
पिवेन्द्रमू वा घह दुश्य मरी आंखों के समन आज भी नाचता रहता हू
सचमुच बडा भयकर दृश्य था वट
ञ् श्र मद
एक बार गुजरात में मत बाल के आमतण पर किसान-संम्मेलन को सम्बोधित
बरने गया। आसपास के हजारा अनुभवी फिसान उपस्थित थ। मैन अधिक अन्त
उपजान दे बारे में जोर दिया भौर समझाया कि अन्न-स्वावुलम्बन के बिना देश की
स्वनमता भी खतरे में पड सदती हैं। जसें हीं मेरा व्याख्यान घूरा हुआ, एक बुजुर्ग
म्सान हाथ जोइकर खड़ा हुआ ओर सहन संगा
“आपने जो कुछ बहा सब ठीक हैं। हम भी चाहते हैँ कि अधिक अन्न
रपजायं। हमने जब तक जान है, खती का कठिन काम करने ही रहेग। लेकिन
मारी पीढ़ी के बाद खती कौन करेगा? ”
आपके गहने का क्या मतलब है ? ”
अप तो बिलडुल साफ हैं । यह देखिए ये हूं हमारे दो नौजवान लड़के। ये
दोनो सामनेवाले हाईस्कूल में पड़ते हूं। ग्रामीण क्षेत्र में होते हुए भी इस विद्यालय में
सगस्त, ७३ ] [ह्५
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