कृष्ण - वियोगिनी एकांकी नाटक | Krishn Viyogani Ekanki Natak
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
132
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)भूसिका श्५्
साथी--भूल से समक्ष बैठा था कि आज़ादी मिल
गई हैं। विचार-स्वतन्त्रता श्रौर सत्य की वेडियाँ
काट कर गरीबों की श्रावाज वुलन्द करने लगा |
हडताल हुई; मिल ठप्प थी, रेलो के चवके
जाम हो गयें श्रौर जनता की वुलन्द श्रावाज
से आकाश फटने लगा। श्रवसरवादी सफेदपोश
घबरा उठे, उनकी कुर्सियाँ उलटने लगी । श्र,
मोटे पेंट का पानी सूखने लगा । बस, फिर क्या
था, अंग्रेजों जैसा व्मन-चक्र चला, चविचार-
स्वतन्त्रता का गला घोट दिया गया श्रौर सत्य *
के हाथों में हधकडियों और पँरो मे बेडियॉँ
डाल दी गई। .. में एक भयकर राजद्रोही
हैं!
ताड़-गुड़
“ताड़-गुड़” (१९५०) प्रचार की चीज़ हैं, जिसमे
ताइनुड की उपयोगिता, महत्त्व, लाभो को नाटकत्व
प्रदान कर दिया गया है। इसका प्रचान पात्र सम्पादक
कहता है--
“ताड-गुड-उद्योग अ्रघिक शअ्रन्न उपजाशं श्रान्दोलन
का सहायक है । गन्ने की काइत पर ताडगुड़ उद्योग का
सीधा प्रभाव यह पड़ेंगा कि किसान खेंतो में गन्ना बोने के
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