भिक्षु न्याय कर्णिका | bhikshu Nyay Karnika

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bhichhu Nyay Karnika by आचार्य तुलसी - Acharya Tulsi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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सप्तम विभाग प्रमाता की परिभाषा चैतन्पर्लिंग की उपलब्धि से आत्मा का बोध भूतो में चैतन्यध्म का अभाव उपादाव और नियम का निरूपण असत्‌ के उत्पाद का अभाव मस्तिष्क चैतन्य के प्रयोग का हेतु, किन्तु मूल नहीं रक्त प्राणशक्ति का अनुगामी किन्तु चैतन्य का मूल नहीं आत्म-अस्तित्व का हेतु--प्रेत्य का सद्भाव पुन्जन्म के सद्भाव का कारण --चैतसिक भाग्रह १० पूर्वाभ्यास की स्मृति ११ पृथ्वी आदि मे चेतना की सिद्धि १० त्रस प्राणियों में चेतना की सिद्धि प्रशस्ति-श्लोका परिशिष्ट डी. (ु . ८ ० -ए लए! न कि हू श्र श्र ७ ७ ७ ९७ ९ ६ €£ €£६ १०१ १०२ श्०्शु




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