हिंदी - माधुरी भाग - १ | Hindi Madhuri Bhag - 1

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Book Image : हिंदी - माधुरी भाग - १  - Hindi Madhuri Bhag - 1

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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संसार एक रंगभूमि है डा० त्रिठोकीनाथ वर्मा [वर्साजी एक बहुत बड़े डाक्टर थ। विदेशी युनिवर्सिटियों की बहुतसी 'डिगियाँ भी आपके पास थीं । पर चिक्त्सा और रोग सम्बन्धी आपने सब पुस्तकें हिन्दी में छिखी हैं। पत्रिकाओं में भी आपके लेख निकला करते थे । ढा० साहब ने अपने “स्वास्थ्य और रोग' नामक बड़ी उपयोगी और कीमती पुस्तक की कई प्रतियां दुक्षिण भारत के पुस्तकालयों को दान में दी थी। दुःख है कि अब डा० साहव नहीं रे ।] संसार एक रंगभूमि है। इसमें सदा ही युद्ध हुआ करते हैं। क्षण-भर को भी शान्ति नहीं। शान्ति केसे हो! शान्ति तो स्यु का चिह है। केवल सुर्दा ही शांत और चुप- चाप पढ़ा रहता है । शान्ति जीवन का ढक्षण है ही नहीं । जीवन का मुख्य खक्षण है गति या जश्चान्ति। चाहे हम सेें, चाहे जागें; हमारे शरीर में गति होती रहती है, हृदय धड़कता रहता है। शरीर की ननहीं से नन्हीं सेठ भी क्षण भर के छिये स्थिर नहीं रहती । परमाणुओं और अणुओं में एक विशेष प्रकार का आन्दोलन हर समय रहता है। तोड़-फोड़ और मरम्मत का काम हुआ करता है। पुरानी चीज़ों की जगह नयी चीज़ें बनती रहती हैं, अर्थात्‌ हमारे शरीर में एक प्रकार की अश्चांति या हलचर रहती है।




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