सभ्यक्त्व सार शतक | Sabhya Katvasaar Shatak
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
8 MB
कुल पष्ठ :
179
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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ट्स्ट के समस्त सदस्य एवं को षाध्यक्ष माननीय श्री चन्द संगल एटा, तथा संयुक्त मंत्री ला.सुरेशचन्द्र
जैन सरसावा का सहयोग उल्लेखनीय है । एतदर्थ वे धन्यवादाह हैं ।
संत शिरोमणि आचार्य विद्यासागरजी के परम शिष्य पूज्य मूनि 108 सुधासागर जी महाराज
के आर्शीवाद एवं प्रेरणा से दिनांक 9 से 11 जून 1994 तक श्री दिगम्बर जैन अतिशय
क्षेत्र पंदिर संघीजी सार्गानिर में आचार्य विद्यासागरजी के गुरु आचार्य प्रवर ज्ञानसागरजी महाराज
के व्यक्तित्व एवं कृत्तित्व परभखिल भारतीय विद्वत संगोष्ठी का आयोजन किया गया था।
इस संगोष्ठी में निश्चय किया. था कि आचार्य ज्ञासागरजी महाराज के समस्त ग्रन्थों का
प्रकाशन किसी प्रसिद्ध संस्था से किया जाय । तदनुसार समस्त विद्वानों की सम्मति से यह
कार्य वीर सेवा मन्दिर ट्रस्ट ने सहर्ष स्वीकार कर सर्वप्रथम वीरोदयकाव्य के प्रकाशन की
योजना बनाई और निश्चय किया कि इस काव्य पर आयोजित होने वाली गोष्ठी के पूर्व
इसे प्रकाशित रूर दिया जाय । परम हर्ष है कि पूज्य मूनि 108 सुधासागर महाराज का
संसघ चातुर्मास अजमेर में होना निश्चय हुआ और महाराज जी के प्रवचनों से प्रभावित
होकर श्री दिगम्बर जैन समिति एवम् सकल दिगम्बर जैन समाज अजमेर ने पूज्य आचार्य
ज्ञान सागर जी महाराज के वीरोदय काव्य सहित समस्त ग्रन्थों के प्रकाशन एवं संगोष्ठी
का दायित्व स्वयं ले लिया और ट्रस्ट को आर्थिक निर्भार कर दिया । एतदर्ध ट्रस्ट अजमेर
समाज का इस जिनवाणी के प्रकाशन एवं ज्ञान के प्रचार प्रसार के लिये आभारी है ।
प्रस्तुत कृति सम्यक्त्वसारशतक के प्रकाशन में जिन महानुभाव ने आर्थिक सहयोग
किया तथा मुद्रण में निओ ब्लॉक एण्ड प्रिन्द्स, अजमेर ने उत्साह पूर्वक कार्य किया है।
वे सभी धन्यवाद के पात्र हैं ।
अन्त में उस संस्था के भी आभारी है जिस संस्था ने पूर्व में यह ग्रन्थ प्रकाशित किया
था । अब यह ग्रन्थ अनुपलब्ध है । अत: ट्रस्ट इसको प्रकाशित कर गौरवान्वित है । जैन
जयतुं शासनम् ।
दिनाज्ड : 9-9-1994
(पर्वाधिराज पर्युषण पर्व) डॉ. शीतल चन्द जैन
मानद मंत्री
वीर सेवा मन्दिर ट्रस्ट
1314 अजायव घर का रास्ता
किशनपोल बाजार, जयपुर
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