पुरुषार्थसिद्धयुपाय | Purusharthasiddhayupaya

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(४१३ कर जैनधर्म भूषण न्रह्लचारी शीतलमसाद जी के पास संशोधन के [लिये भेजा- उन्हों ने कृपाकर अपना बहुमूल्य समय देकर इसे आदय्योपांत देखकर हमें उपकृत किया इसके लिये हम उनके अत्यन्त आभारी है । मैं विद्वान नहीं हूं। मैं ने इस ग्रेथ के सम्बन्ध में कोई भी वात अपनी ओर से नहीं लिखी है, केवल भक्तिभाव और जिन वाणी प्रचार से ही प्रेरित दोकर इस ग्रन्थ को इस रूप में लिखा है, यदि कोई बुटि व अछाद्धि हो तो विशेषज्ञ मुझे बुद्धि हीन तथा अल्पज्ञ जान क्षमा करें और पाठ को संशोधित कर पढ़ें । मैं अपने मित्र वा ० लालचन्दजी तथा घावू नानकचंदजी रोहतक का भी आभारी हूं जिनकी सत्सद्भति तथा मेरणा से मुझे इसके लिखने का अवसर प्राप्त हुआ । श्रीमान पं० नाथूराम जी प्रेमी की टीका को इस ग्रन्थ के लिखने में मैंने खूब ही स्वतन्त्रता पूर्वक काम में लिया हे इसके लिये हम उनके चिरक्णी रहेंगे । अंत में अपने परममित्र श्रीमान पे आजितप्रसाद जी «5-17. 8. 'ऐडवो- केट, (जिनकी समाज सेवा तथा धर्म प्रेम से समाज भली भांति पारोचित है ) को धन्यवाद दिये बिना नहीं रद सकता हूं। कि जिन्होंने अपने धहुमूल्य समय की परवाह न कर इस ग्रेथ को छपवाने का ऐूरा भार अपने ऊपर लिया तथा शिक्षापरद प्राकथन लिखकर ग्रेथ के महत्व को बढ़ाया । न उदार जिनवाणी भक्त महानुभावों का भी अति आभारी हूं कि जिन्होंने उदारता पूर्वक अपना द्रव्य देकर इस ग्रेथ के प्रकाशन में दाथ वटाया है--उनके शुभ नामों की सूची ग्रैथ में लगादी है । रोहतक उग्रसेन जैन (गोहाना निवासी) छुतपश्चमी २४५५९ 8, 3, ऊ 7.. 9. वकील, रोहतक




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