अदिति | Aditi

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Aditi by आचार्य अभयदेव विद्यालकार - Achary Abhaydev Vidyalakar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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श्रीच्रविन्द-वाणी- विचार और भांकियां कुय लोग इसे श्रष्टता समकते है कि किसी निणेष इंश्वरोय विधान मे विश्वास किया जाय या झपने श्राप को भगवान्‌ के हाथों में एक उपकरण समक्ा जाय । पर में देखता है कि अ्रत्पेक मनुष्य को ईश्वर-विहित रिगेप रचण प्राप्त है श्र साथ ही यह भी देखता ह कि भगवानू मजदूर के कुदाल को चलाता है शऔर चहदी एक नन्हें बालक के मुंह में हुतलाता है । ईश्वर-विहित रक्षण वही नहीं है जो कि टूटी हुई नैया से जिस में कि और सम हब जाते है मुझे यचा लेता है, बद्द भी ईश्वरीय रक्षण है जो मेरी सुरक्षा के अन्तिम तरते को मुक्त से छीन लेता है और सुझे जनशझुन्य मददासागर में झयो देता हे जम कि और सय बच जाते हैं । सघप और कष्टसहन के प्रति आाकप्प॑ण की झपेला कभी च्भी विजय का झ्रानन्द कम होता है । तो भी दिजय के लिये श्रग्रसर हुई मानयीय आत्मा का लच्य विजयमाल होनी चाहिये न कि सली । वे थात्मायें जो ऊचे उठने की कोई विशेष अभीप्सा नहीं करती परमेश्वर की असफल कृति है । पर प्रकृति उन से प्रसन्न होती है




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