विज्ञानं और प्रयोग | Vigyaan Aur Prayog

Vigyaan Aur Prayog by श्यामसुंदर शर्मा - Shyamsundar Sharma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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७ १८१० १३ ११० वर ०१० 40०4० ० बनने तैरती तैरती हुई ज्वाला का प्रयोग करने के लिए तुम्हें चाहिए छह मोमबत्तियाँ- जिनमें से पाँच एक से आकार की हों बराबर मात्राओं में पोटेशियम क्लोरेट चीनी और कई मीटर लंबा पतला काला धागा । पानी माचिस गिलास और मेज जैसी चीजें हर घर में रहती ही हैं । पहले पोटैशियम क्लोरेट का गुनगुने पानी में संतृप्त घोल बना लो। तुम जानते हो कि किसी वस्तु का संतृप्त घोल वह घोल होता है जिसमें घोल बनाने के ताप पर वस्तु की और अधिक मात्रा घोलक में न घुल सके। पर घोल का ताप बढ़ा देने पर साधारणतया वस्तु की और अधिक मात्रा उसमें घुल जाती है 0 इस घोल में चीनी मिला दो । फिर इस घोल में धागे को डाल दो और कुछ मिनटों तक उसे पड़ा रहने दो। फिर धागे को निकालकर भलीभाँति सुखा लो। अब पाँच एक जैसी मोमबत्तियों को मेज पर एक पंक्ति में खड़ा कर लो। पहली को छोड़कर सब मोमबत्तियों की बत्तियों को धागे से आपस में जोड़ दो। पहली मोमबत्ती को जलाकर उससे आपस में जुड़ी मोमबत्तियों में से सबसे आगे रखी मोमबत्ती को जला दो । पर शीघ्र ही उसे फूँक मारकर बुझा दो और जलती हुई मोमबत्ती को उससे कुछ इंच ऊपर कर लो। ऐसा होने पर तुम देखोगे कि जलती हुई मोमबत्ती से लौ अपने आप उछलकर बुझाई गई मोमबत्ती तक पहुँच जाती है और उसे जला देती है । ऐसा प्रतीत होता है मानो लौ हवा में तैरती हुई मोमबत्ती तक पहुँच गई थी। क्षण भर बाद यह लौ तैरती हुई अन्य मोमबत्तियों तक पहुँचकर उन्हें भी जला देती है। पर इस बार लौ हवा में तैरती हुई आगे नहीं बढ़ती वरन्‌ धागे की मदद से अन्य मोमबत्तियों तक पहुँचती है। धागा के पतले और सफेद घोल से लिप्त होने के कारण वह दूर बैठे दर्शक को दिखाई नहीं देता । हो सकता है कि तुममें से कुछ बच्चे लौ के जलती हुई मोमबत्ती से उछलकर बुझाई गई 51 विज्ञान प्रयोग




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