महात्मा गाँधी की नोप्राखाली - यात्रा | Mahatma Gandhi Ki Noprakhali Yatra

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Mahatma Gandhi Ki Noprakhali Yatra by पंडित राम किशोर मालवीय - Pt. Ram Kishor Malviya

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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७ कॉप्रेस श्यौर मुस्लिम लीग भारतीय राजनीति के पाठकों से यह छिपा नहीं कि कांग्रेस ने भारत को श्रंग्रेजों के चंगुल से मुक्त कराकर फिर स्वाघीन करने के सर्चो परि साधन हिन्दू-मुस्लिम ऐक्य के लिये अपने जन्म-काल से दी पिछले ६१ चर्पों के छान्दर क्या-क्या प्रयत्न किये । परन्तु कांग्रेस की वागडोर जब सें गान्थोजी के द्ाथ में श्ञायी उस समय से साम्प्रदायिक एकता को कांग्रेस के कार्य-क्रम में स्े- प्रथम उसके लिये स्थान देकर भगीरथ प्रयास किये गये । इसके विपरीत मुस्लिम लीग से अपने जन्म के समय से. ही झंग्रेजों के हाथ की कठपुतली बनकर 'इन दोनों प्रयल्नों में कितनी थाधायें डालीं और आज तक डालती चली झा. रही है, यह भी स्चंचिदित ही हैं । फिर भी कांग्रेस शोर मुस्लिम लीग के इन कार्यों पर एक विहवंमम दृष्टि डाल लेना यहाँ झप्रासंगिक न होगा और उससे मुस्लिम लीग की झ्ढ़ज्ला डालने वाली श्यीर देश द्रोह्विता की नोचि के चरम रूप को संक्षेप में समभक लेने में सहायता मिलेगी । काँग्रंस ने देश की एक सात्र राष्ट्रीय संस्था होने के नाते देश वासियों में स्वाधीनता को आग जिस प्रकार फूँकी श्और विदेशी शासन की जड़ पर प्रह्मार किया, उसे देखते हुए ंप्रेजों की रूद्द काँप उठी शोर उन लोगों ने भारत पर छपना राज्य चनाये रखने के लिये कांग्रेस की शक्ति नष्ट करने तथा. स्वाघीनता के मागे में चाघा डालने के लिये मुसलमानों को कांग्रेस से अलग करने के निसित्त मुस्लिम लीग की स्थापना करायी । १९८६ में अंग्रेजों के छनन्य भक्त छागा खाँ की अध्यक्षता में मुस्लिम लीग कद




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