साहित्यिकों से | Sahityiko Se

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Sahityiko Se by आचार्य विनोबा भावे - Acharya Vinoba Bhave

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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भूदान-पात्रा का आमंत्रण दि रे किरणें होती हें, उन्हें हम देख. नहीं सकते, परन्तु उनका लाभ मिलता है-। इस तरह जो सूर्य-किरणें प्रकट होती हूँ, उनसे भी वे किरणें अधिक उपकारक होती हैं, जो प्रकट नहीं होतीं । इसलिए दुनिया को जिनकी पहचान हुई है वे उतने महान्‌ नहीं थे, जितने महान्‌ वे थे; जिनकी दुनिया को पहचान नहीं हुई । भगवान्‌ बुद्ध, ईसा आदि सहान्‌ व्यक्तियों की महिमा दुनिया गाती हूं । वें महान्‌ थे, इसमें कोई दाक नह है। परन्तु उनके भी कोई गुरु थे; जिनके नाम सिफे वे ही जानते हैं दुनिया नहीं जानती । इसलिए हम उनको योस्यता नहीं नाप सकते, क्योंकि हम उनको जानते नहीं । लेकिन, वे हो गये । उनके संकल्प में एसी शक्ति थी कि उससे काम हो गये । कभी-कभी वे अव्यक्त रूप से हमें प्रेरणा देते हूं, और हमको वेग मिलता हैं । किनसे वेग मिलता है, हमें मालूम नहीं होता, क्योंकि वे अव्यक्त' रूप से काम करते हूं । दुनिया में वे ही अधिक महान्‌ और उच्च कोटि के हैं । विच्या ने पत्थर फोड़ा .. मुझे वचपन का एक किस्सा याद आता है । हमारे घर में पत्थर फोड़ने का काम चल रहा था । में काम देखने जाता था । कभी-कभी में कहता था कि में भी फोड़ना चाहता हूँ । तो वे लोग सुझे ऐस। पत्थर फोड़ने के लिए देते थे कि जो टूटने की तेयारी में होता था । में ज्योंही अपनी छोटी-सी हथौड़ी से उसपर आधात्त करता था, त्योंही वहू टूट जाता था । तव सब लोग कहते थे कि “विन्या ने पत्थर फोड़ा. उसी तरह दुनिया में वे लोग होते हैं, जिनका नास दिया जानती हू, लेकिन जिनको दुनिया जानती नहीं, ये सुधष्म अवस्था में रहते हूं । चिन्तन-मनन करना और. उसके अनसार जीवन बनाना




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