विचार - पोथी | Vichar - Pothi

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Vichar - Pothi by आचार्य विनोबा भावे - Acharya Vinoba Bhave

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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विचारपोयी १७ ˆ ७८ युरोपमें विभक्तराष्ट्‌-पद्तिका प्रयोग हो रहा हं । हिन्द स्तानमे संय॒क्तराष्ट्‌-पद्धतिका 1 ७९ अकतृत्वके विना अहिसा, सत्य आदि ब्रतोंका पुर्णपालन सङाक्य ह । ८०9 एेरवयं इरवरका विरोष गृण हं । भक्तका वह्‌ असिरषित नहीं है । सत्यकी परिभाषा नहीं है ; क्योकि परिभाषाका ही आधार सत्य है । २ छातीपर पिस्तौल अडाकर अनाज लटनेमें और सोनेकीः मुहर दंकर उसको खरीद छेनेमें कई वार विलकुल अन्तर नहीं: होता । ८३ समलोष्टारमकांचनः-- यह्‌ सच्चे अर्थशास्त्रका मुख्य सूत्र है ८४ धर्म संसारसे मोक्षकी ओर ठे जानेवाला पुल है । इसलिए उसका एक पैर संसारमें और एक पेर मोक्षमें होता है । ८५ सभी धर्म सत्यके अंशावतार हैं । ८६ सयनारायण सत्यनारायणकी प्रतिमा ह । सर्योपासना सत्यदर्दोनकें लिए है ।




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