भास्कराभास निवारण | Bhaskrabhas Nivaran
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
126
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)भास्करभास निवारण श
खाये तो प्रथम सो गणित शो गलती पहै, जिससे कल यरावबर
हीं मिलता यदि सही गणित . रिया जशादे तो फल भी उस
का धराबर व पूरा २ मिल सकता. है,. ज्योतिष फ्री श्पनेक'
बात सही दिखा सकते हैं सही होने से ससाज शोड़ देसा--
भाए ० पुर १९ प० ९९ से स्वामी की की नृत्य पर यह
लेख है परन्तु राक्सों से उनको -लोकोयकार दूर च्रेष्टा सही
स गई घर सुनते हैं कि उनका. माण विष ;द्वारा सिवा.
लिया।
+-पह तो श्वापके स्वासी जी का कथन ही है. श्और
श्ापने भी उसको प्रष्ट किया हैं कि सनष्य कम करनेमें सुव
तन्त्र व फल मोगनेमें परतंत्रहै फिर कहिये कि यदि दे श्वरके
संसीप रवामीजी का कम उत्तम होता तो फिर ऐसा बरा
फल ( अर्थीत विषद्वारा म्ाण हरण होना ) क्यों दिलाया
गया इसंसे तो स्पष्ट ही चिंदित होता है कि- जो जंस करे
सो तरस फल चाखं। जैसा उनका .बरा करें यथा, वैसा 'ही उः
नकी बरा फल सिला ।
1०. प्र८ पर? २० पं० ९८ से. यायंत्री संत्र में चोटी: बांधकर
रका करने. पर यह सेख है हां यह. अवश्य है.प्रके हम प्रार्थी
शोग इस योग्य परमात्मा की दुष्टिमें ठहरें कि वह मथला
शंबोकार कर तो इसमें संदह नहीं कि सलवार श्रादिं उस के
ऋासने कोड बस्त नहीं हैं
_* झइन ९--यह, तो, खेख श्ाप्रका हु ही सत्य, है,.पर -यह
तो. कड़िये कि अब्र मड़लाद जो इत्यादि की कथा को असत्य
कहते -सुक लजका सांती. है , था नहीं ? हां यदि जस' :संमय
डेशर में इतनी शक्तिन हो ज्ञो दस समय शरा० :प्र० असातेमें
उसको प्राप्त-है तो थहःचात.स्लग है- हे
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