हम क्या करे | Ham Kaya Kare
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
14.89 MB
कुल पष्ठ :
350
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)७ पहला परिच्छेद
चाहता था श्रौर लादिमीर का किसान गॉव को वापस जाने का इरादा
करता था । था
इसी तरह के ग्रामवासियों को सड़क पर भीख माँगते देखकर मेंरा
ध्यान इनकी श्रोर विशेष रूप से गया । और मेरे मन मे यह कुतूहल
हुआ कि वे लोग भीख क्यों मॉगते हैं, जब कि वे दोनों काम करते
एक बार मैंने भीख मॉगने वाले एक बलिष्ट और स्वरूप कृपक
से पूछा, 'तुम कौन हो श्र कहाँ से श्राये हो ?” उसने बताया कि काम
की तलाश में वह कालूँ गा से श्राया था । पहले तो उसे ई धन चीरने का
काम मिल गया, लेकिन जब काम खत्म हो गया तो उसके श्र उसके
साथी के बहुत ढूँढने पर भी दूसरा कोई काम न मिला । उसका साथी
उसे छोडकर चला गया श्र उसने अपने पास का सब-कुछ उद्र पूर्ति के
लिए बेच डाला | यहाँ तक «कि श्रब उसके पास लकड़ी चीरने का
सामान खरीदने तक को कुछ न था । शझ्ारा खरीदने के लिए मेंने उसे
रुपया दिया शऔर काम के लिए स्थान भी बता दिया । पीटर और साइ-
मन से मेंने पहले ही कह रखा था कि एक श्रादमी को वे रख लें श्रौर
उसके लिए एक साथी तलाश कर लें ।
चलते समय मैंने उससे कहा--'देखो श्राना जरूर ! करने के लिए
चहाँ काम बहुत है
'जरूर' में जरूर झराऊँगा । इस तरह दूर-द्र भीख माँगते फिरने में
मुके कोई श्रानन्द श्राता है, जब कि में काम कर सकता हूँ ?” उस
झादुमी ने इतनी इढ़ता से कहा कि भुझे उसकी बात पर पूर्ण विश्वास
हो गया ।
दूसरे दिन जब मैं पीटर श्रौर साइमन के पास गया, तो मालूम डुश्रा
कि वह नहीं श्राया--श्रौर, सचमुच वह नहीं श्राया था । इस तरह मैंने
कई बार धोखा खाया । मुके कुड ऐसे लोगों ने भी ठगा कि जिन्होंने
सुकसे कहा कि घर जाने के लिए टिकट खरीदने-भर के लिए रुपये की
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