राजस्थान पुरातन ग्रंथमाला | Rajasthan Puratan Granthamala
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
124
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about आचार्य जिनविजय मुनि - Achary Jinvijay Muni
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)हाउ हम ।
पांसुली पका ।
मींजी मजा ।
चांमडी चर्तिका ।
नस स्सा ।
छाछ ढाला ।
वीठ विष्ठा ।
गूह गथम।
वेस वेषः ।
मांडणउ मण्डनम् ।
पड़वास पठवासकः ॥
कपूर वपूरः ।
अगर अगुरु ।
जाइफढ जातिफल्म् ।
कुंकू कुहमम ।
लठउग लवड्जम ।
मउड सुकुटम ।
गुधिवउ प्रन्थनम् ।
सेहरउ रोखरः ।
बाली वालिका ।
कडउ कठकः ।
नेउर नूपुरम ।
तंत्र तब्रकम ।
'चलणी चलनी ।
काँचली कश्लुलिका ।
साड़ी दाटी ।
कच्छोटउ कच्छापटः ।
काछडी कच्छाटिका ।
नातणरउँं नककः ।
पछेचडउ' प्रच्छद्पठ। ।
गूणि गोणी ।
पालथी पयेस्तिका ।
नउद नवतः ।
उ० र० ९
उक्तिरलाकर .
आधर आस्तरः ।
चंद्रूयड चन्द्रोदयः
गुलणी युणलयनिका ।
मांचउ मघ्चका ।
खादि खा ।
उसीसउ उच्छीर्षकम ।
आरीसउ आदर: ।
अलतअउ अलक्तकः ।
लाख नाक्षा ।
काजल कलम ।
दीवउ दीपः ।
दसी दशा ।
वीझणउ व्यजनकम् ।
काँकसी कडडतिका ।
तंबोलरी थई ताम्बूलस्य स्थगी ।
मददतउ महामाद्यः ।
सुक झुस्कः ।
अंतेउर अन्तपपुरम्।
बड्टरी वैरी ।
सित्राई मैत्री ।
हेरू हैरिकः ।
लांच नशा ।
गूझ गुद्यम् ।
असवार अश्ववारः ।
अंगरखी अड्रक्षी ।
धनुष घडुः ।
वेझ॑ वेध्यम् ।
खयड्उँ खेटकः ।
मोगर सुहरः ।
प्रयाणउ' प्रयाणकंम् ।
राडि राटि! ।
धाड़ि धाटी ।
सराध श्राद्ध ।
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