सिन्धु सभ्यता | Sindhu Sabhyta
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
93.46 MB
कुल पष्ठ :
379
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about डॉ. किरण कुमार थपल्याल - Dr. Kiran Kumar Thapalayal
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)8 : सिंधु सभ्यता
मुल्तान के बीच रेलवे लाइन बिछाने के लिए रोड़ी की आवश्यकता हुई। जान
फटन और विलियम ब्रंटन, जिन्होंने रेलवे लाइन बिछाने का ठेका लिया था, को
रोड़ियों की आवश्यकता थी। इन्हें भला रोड़ियों के लिए समीप स्थित हड़प्पा के
भग्नावशेषों की इंटों से अच्छा और क्या साधन मिल सकता था। आज लगभग
डेढ़ सौ किलोमीटर की दूरी तक रेलगाड़ी इन प्राचीन ईंटों की रोड़ियों के ऊपर
चलती है। वैसे इसके पहले भी आस-पास के निवासियों ने अज्ञात मात्रा में
प्राचीन ईटों को खोद कर मकान बनाने में उनका प्रयोग कर लिया था। लगातार
इंटों के निकालने से इमारतों की रूपरेखा तो पहले ही बिगड़ चुकी थी, जो
रूपरेखा बची थी वह भी रेलवे लाइन की रोड़ी बिछाने के लिए ईटे निकालने
के कारण और नष्ट हो गई।
हड़प्पा के टीले के बारे में प्रथम उल्लेख चार्ल्स मैस्सन ने 1826 में
किया था। उसके बाद जनरल कर्निंघम ने 1853 ओर 1873 में इस टीले का
सर्वेक्षण किया। उन्होंने इस टीले से कुछ प्राचीन वस्तुएं उपलब्ध कीं और
1875 में कुछ मुद्रां और अन्य उपकरणों को आर्क्योलाजिकल सर्वे रिपोर्ट में
छपवाया। 1912 में जे.एफ. फ्लीट ने भी ब्रिटिश संग्रहालय द्वारा इस स्थल से
उपलब्ध को गई सिंधु सभ्यता की कुछ वस्तुओं पर रायल एशियाटिक सोसायटी
को पत्रिका में एक लेख लिखा। किन्तु कनिंघम और फ्लीट इस स्थल के
पुरातात्विक महत्त्व को भलीभौँति नहीं आंक सके। 1921 में, जब सर जान
मार्शल पुरातत्त्व विभाग के महानिदेशक थे, रायबहादुर दयाराम साहनी ने इसका
पुनरन्वेषण किया और 1923-24 तथा 1924-25 में खुदाई करवाई । इसके
बाद 1926-27 से 1933-34 में यहाँ पर माधोसरूप वत्स के निदेशन में
उत्खनन हुए जिनकी रिपोर्ट उन्होंने दो जिल््दों में छपवायीं। इन उत्खननों से
यह स्पष्ट हो गया कि हड़प्पा सिंधु सभ्यता का अत्यन्त महान केन्द्र था। 194८
में व्हीलर के निर्देशन में यहाँ उत्खनन किया गया जिससे महत्त्वपूर्ण नये तथ्यों
की जानकारी प्राप्त हुई जिनमें एक टीले की पहचान गढ़ी के रूप में किया
जाना विशेष उल्लेखनीय है। अनुमानत: हड़प्पा का प्राचीन नगर मूल रूप में 5
किलोमीटर के क्षेत्र में बसा था।
... रोपड़- रोपड़ पंजाब में शिवालिक पहाड़ी की उपत्यका में स्थित है।
यज्ञदत्त शर्मा के निर्देशन में इस स्थल की खुदाई 1953 से 1956 तक हुई थी।
यह टीला लगभग 15 मीटर ऊँचा है। भौगोलिक दृष्टि से यह सामरिक महत्त्व
की जगह पर स्थित है। यहाँ पर हिमालय की तलहटी और मैदान का मिलन
स्थल है। सतंलज नदी यहीं पर पंजाब की उपजाऊ भूमि में प्रवेश करती है।
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