भद्रवाहुचरित्र | Bhadravahucharitra
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
130
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)(१३)
ध्योतिपदांख्रके अद्विनीव बिद्यान हुय हैं # उनके समयका निश्य
करत हूं ता उस विपयमें यदद प्रसिद्ध शोक मिट॒ठा दै ।
धन्वन्तारप्तपगकामरसिहगइकु-
बेतालपड़यटसर्पर्काडिदासा: ।
ख्यातो दरादापहिंगे तपतें: सभायां
रवानि वैवररुचिनेष विक्रसस् ॥ -
कहनेका आशय यह है कि-श्रीविकम मददारालकी सभामें धम्प-
स्तरि अमरतिंद काठिदास प्रमृति जा नव रख थिने जाते थे उनमें
बरादसिड्िरि भी एक रत थे । इन्दंनि अपने प्रतिप्टाफाण्डें एक जाएँ
दिखा हैं कि-
विष्णो मांगता मयाथा समितु्निया विदु्ाझणां
माठणामपिति माइमण्डलाविद! सं यो; समस्या टन:
शातया। सर्वेहिताय शान्तमनसो नप्रा जिनानां दिंदु-
यें य॑ देवप्रपाशिता! स्वविधिना ते तस्य छुप। फियाएू ॥
भार यह हैं कि-पैं्गव ढोग विष्युकी प्रतिष्ठा करें, सूर्याप-
जीबी छोग सूपकी उपासना करें, विश्र छोग श्राह्मणकी क्रिया करें,
ज्रन्माणी इन्द्राणी प्रशनति सप्त माइमण्डडकी उनके जानने बाल अर्चा
करें, वौद्ध छोग घुद्धकी प्रतिष्ठा करें, नम्न ( दिगम्बर साधु ) छोग
लिन मगुव्ानकी प्ुपासना करें । थोड़े शब्दोंमें यो किये कि
जो जिसदेवफे उपासक हैं वे अपनी २ विधिसे उसीकी क्रिया करे ।
अब इतिदासके जानने वाछे छोग इस वातका अनुभव को कि
यह चराइसिदरिका कथन दिगस्वर मत्तका अस्तित्र मद्दाराज सिक्रमके
० हमने तो यहां तक डिम्बदन्ती छुनो है कि परामिर और धंभद्रयाहु
थे दोनों सददोदर थे । यह दाक्त कहां हक ठीक है है सटसा विश्वास नहीं होता ।
क्योंकिनद्स विपय में हमारे पाप कोई ऐसा सबने प्रमाण नहीं दे-जियमें दस
किम्मदन्तीकों प्रमाणित कर सकें । यदि हमारे पाटक इस विपय् बुछ जानते हों
तो सूचित करूं इस उनके भहुत भमारी इगि ।
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