बीजगणित | Biij Ganit

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Biij Ganit by डब्लू० एल० फेरार - W. L. Pheraar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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9 आगं बढ़ने से पहले हमारे लिए यह सिद्ध करना श्रावश्यक है कि उपदर्यत परिभाषा से 8 9 . . . £ श्रादि का एक--श्रौर केवल एक हो--फलन प्रात होता है । इसकी उपपत्ति फा०0 को निम्नलिखित चार मुख्य भागों में विभाजित किया जा सकता है । प्रथम भाग-- 1 के स्तंभों के संगत श्रक्षर 8 9 . . . £ झादि को मनवांछित किसी भी क्रम में रखिए जैसे न्व र हैं. मीन दि 3 से दी 2. दो ऐसे श्रक्षरों के विनिमय को जो बिल्कुल भ्रगल-बगल के स्तंभों में हों श्रासन्त विनिमय 28060. उंटार्टा 2086 कहते हैं । ऊपर 2 में जो क्रम है उसमें कोई भी दो भ्रक्षर 9 श्रौर तप लीजिए । मान लीजिए इनके बीच में 17 भ्रक्षर श्र हैं । श्रब यदि हम फ को दाहिनी श्रोर को ले जाना शुरू करें तो ए1+1 झासन्न विनिमयों के परुचात्‌ वह ५ से ठीक दूसरे नंबर पर झ्रा जाता है । समान लीजिए झ्रब हम पथ को बाएँ हाथ की श्रोर ले जाना श्रारंभ करते है तो श्रासन्न विनिमयों के परचातु ५ उस स्थान पर पहुंच जाता है कि परिणाम वही होता है जो क्रम & में ही ? श्रौर 0५ का स्थान परस्पर बदल देने से होता । यह अवस्था 2ए0+- 1 झ्रासन्न विनिमयों के पदचात्‌ प्राप्त होती है । अब मान लीजिए 2 में हम प्रत्येक चिह्न का 2ण+ 1 बार परिवतंन करते हैं। परिणाम वही होता है जो पहले के चिक्ठलों के बदले विपरीत चिह्न रख देने से होता । निष्कर्ष यह हुआ कि परिभाषा में दिया हुआ तीसरा प्रतिबंध यदि श्रक्षरों में अ्रासन्न विनिमय के होने पर भी संतुष्ट होता है तो वह स्वयमेव झक्षरों के किसी भी विनिमय पर भी संतुष्ट होगा । द्वितीय भाग -- 1 हा बौर पा प्रतिबंधों के कारण दुवितीय कोटि के डिरट्टामिनेंट न 2. 0 82 0 का मान. 2 02--8201 आआ जाता है। क्योंकि 1 आर हा से सान नथा०2--820। होना चाहिए और शा के कारण 8 गौर 9 के विनिमथ से चिल्ल बदल जाने चाहिएँ । इसका तात्पर्य यह हुआ कि व्यंजक 892+ 82201 नहीं हो सकता । तृतीय भाग--श्रब मान लोजिए कि 1 हा आर हा प्रतिबंध 1-1 कोटि के किसी डिर्टामिनेंट का मान ज्ञत करने के लिए पर्याप्त । 1 से डिटमिनेंट /५.् ऐसे पदों का संमुच्चय 58 है. जिसमें ४ का अनुबंध धपरिद 1 है पदों का यह समुच्चय है -- 812-- 9 94 व ७ के भ 0 3 इसमें 1 को /५ में लागू करने पर नि6एानाए।2/64--2




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