साहित्य - लहरी | Saahitya Lahari
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
119
श्रेणी :
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लक्ष्मीनारायण शर्मा - Lakshminarayan Sharma
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सुरजनदास स्वामी - Surjandas Swami
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)प्चम पाठ
प्रभातवेत्ता
[ यहां सचेपें में प्रभातकाल का वर्णन किया गया दे जिसमें अकृति देवी
अ्रफुल्लित हो उठती है और स्थावर-जगम सभी में नव-जीवन का संचार कर देवी है । |
अहो ! रम्या इयं प्रभातवेला । इदानी शिशिरः सुरमिश्र
समसीरो मन्दं-मन्दं प्रवददति, सनांसि च मोद्यति । अस्मिन् समये
पक्षिण। कल कूजन्ति । कोकिला गायन्ति, मयूरा नृत्यन्ति !
उपवनेषु बिकसितानि नानारूपाणि कुसुमानि दुशकानां नयने
हरन्ति। सुरभिः पवनश्ध घ्ाणं तपंयति । कुसुमरसपानेन मत्ता
मधुकरा मधघुरं शुज्जन्ति । लताः पादपाश्च पंबनेन चालिता
ानन्देन चुत्यन्ति इब । मन्ये सवा प्रकृतिरेव आनन्दिता नृत्य
तींव साम्प्रतमू ।
भगवान् भास्कर: पूर्वेस्यां दिशि सकल जंगद भासयन्
उदेति । शअकाशादू भीत्वौर इव तमो विलीयते । जना उत्थाय
स्नातूं नदी प्रयान्ति । तत्र स्नात्वा केचित् हरिमचंयन्ति । केचिद
गायत्रीं जपन्ति । केचिदू उच्च: स्तोत्राणि पठन्ति । केचितू
सन्ध्यामुपासते । कस्ित् प्रणवं जपति । कश्धित् देवावू यजति ।
कस़्चित्पित् स्तप॑यति, कश्यिद् भूतेभ्यों वलिं ददाति ।
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