जनरव | Janraw
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
7 MB
कुल पष्ठ :
208
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)तूने भाई से ग्रोर मुमसे निभायी, तो मैने भी तुझे अपना ही समझा /
बोल, भूठ कहती हूँ *
नहीं, गदल । मेने कब कहा ।
बस यही बात है, देवर ' अरब मेरा यहां कौन है ! मेरा मरद तो
मर गा | जीते जी मेने उसकी चाकरी की, उसके नाते उसके सब
म्रपनों की चाकरी बजायी । पर जब मालिक ही न रहए, तो काहे को
हुडकम्प उठाऊं ! यह लटक, यह बहुएँ ! मै इनकी गूलामी नहीं
करूँगी '
पर क्या यह सब तेरी श्रौसाद नही, बावरी । बिल्ली तक श्रपने
जायो के लिए सात' घर उलट-फेर करती है, फिर तु तो मागुस हैं|
तेरी माया-ममता कहाँ चली गयी *
देवर, तेरी कहाँ चली गयी थी, जो तुने फिर ब्याह न किया 1
मु तेरा सहारा था, गदल '
कांग्रर ' भेया तेरा मरा, कारज किया बेटे ने श्रौर फिर जब सब
हो गया, तंत्र तू मुक्त रखकर घर नहीं बसा सकता था. ' तूने मुझे पेट
के लिए पराई डयोढी लँघवायी । चूल्हा में तब फुूकू, जब मेरा कोई
अपना हो । ऐसी बॉदी नही हैं कि मेरी कुहती वज्चे, श्रौरो की विछिया
भनके । में तो पेट तब भरूँगी, जब पेंट का मोल कर लूंगी | समभा,
देवर ' तूने तो नहीं कहां तब । श्रत कुनबे की नाक पर चोट पड़ी, तब
सोचा, जब तेरी गदल को बहुभ्ो मे प्राँखे तरेर कर देखा । थ्ररे, कौन
किसी की परवाह करता है
गदन ! --डोडी ने भर्राये स्वर से कहा--में डरता था । तो भला
क्यो ?
गदाल, मैं बुद्ढा हू । छरता था, जग हसेगा । बेटे सोचेंगे, शायद
चाचा का ध्रम्मा से पहले ही से नाता था, तभी तो चाचा ने दूसरा ब्याह
नहीं किया । गदल, भैया की भी बदनामगी होती ने ?
ग्रे, चल रहने दे ! ---गदल ने उत्तर दिया---भेया का बड़ा खयाल
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