वैदिक साहित्य १ | Vaidik Saahitya 1

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( 3१५ ) दुशम परिच्छेद बेदाज ... रे९र-३९६ वेदाज्न का अथ तथा महत्व २९२; (१) दिक्षा २९४, उपनिपत्काल मैं शिक्षा २९६; प्रातिशयाख्य--ऋकप्रातिशाख्य ३००, वाजसनेपिप्रातिशाख्य ३०२, व्याख्यायं ३०४; तैतिरीय प्रातिशाख्य ३०५, सामवेदीय प्रातिशाख्य--पुष्पसूत्र, ऋकतन्त्र ३०७; अथवं प्रातिशाख्य ३०९, शिक्षा-ग्रन्थ ३१० । (२) कल्प--यजुर्वेदीय कल्पसूत्र ३१७, सामवेदीय कल्पघूत्र ३२३, अथर्ववेदीय कल्पवूत्र ३९४, धर्मसूत्र ३२५, गोतम धर्मवूत्र ३२६, बौघायन धर्मसूत्र ३२६, आयमस्तम्ब घर्मसूत्र ३२७, हिरण्यकेदि- घर्मखूत्र ३२८, विष्णु धर्मशास््र ३२८; वशिष्ट घर्मदास्त्र रे२८; प्राचीन, ग्रन्थों से सम्बन्ध ३२९, वशिष्ठ का सत है दे । (३) व्याकरण २३४-३४३ (४) निरुक्त ३७४३-३५३ (५) छन्द श३-३५९ (६ ) ज्योतिष ३५९-३६२ ( उ ) अनुक्रमणी ३६२ संस्कृति खण्ड एकादश परिच्छेद बैदिक भूगोल तथा आये निवास ३७३-३९७ समुद्र ३७५, नदियाँ २3६, देश २८१, आरयों का निवास स्थान हर ३८९, उत्तरी समुद्र ३९१, आये-सम्यता का विस्तार २९४ | ड्ादश परिच्छेद भायें और दस्यु २९६-४१५ पश्चजना रे९द, यदु ३९७, तुबंश ३९७, अनु २९७, दद्य ९७, पुब २९८, तृत्सु ३९८, यज्ञत्र ३९६९, क्रिवि ४००, बृचीवन्त ४००,




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