बायोकेमिक चिकित्सा सार | Biochemic Chikitsa Saar
श्रेणी : स्वास्थ्य / Health
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
7.81 MB
कुल पष्ठ :
212
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)ं चेज्ञानिक-तत्त्व , ह्व
है और ये दोनी ही पदाथ खुनमें पाये जाते हैं, जेसे-(क ) जैव-
उपकरण--मेद, अंडलाल और शर्करा । ( ख ) जल और अजैच-
उपकरण--पोटास; केससियम, सिलिका, लौह, सोडियम और सैस्ने-
शियम | इन सब पार्थिव-लवणोके ठीक-ठीक रहे बिना; जेव उपकरण सब
स्वाधीन-भावसे कोष और तन्तुओका निर्माण नहीं कर सकते । कोई
तन्ठ॒ या समृची देह जल जानेपर; जलीय भाग वाष्प ( भाफ ) के
आकारमसें बदल जाती है और अद्दय हो जाती है; जेव-उपकरण सब
अंगारमें परिणत हो जाते हैं और पार्थिच-लवणोका जलकर बचा हुआ
भाग भस्म-रूपमें पडा रहा करता है ।
बाघोकेलिक चिक्त्साका सूलू-सूच
जीव-देहमें जेब और अजेव पदार्थोंका रासायनिक सयोग है । इन
सबोकी क्रियाकी गडबडी या किसी एकका अभाव होनेसे ही शरीर रोग-
अस्त हो जाता है । जीव-देहका यह स्वभाव प्रकृत अवस्थामे है या नहीं
इसका निणंय करना और नहीं रहनेसे उसको स्वाभाविक अवस्थासे लाना
: ही वायोकेमिक चिकित्साका उद्द इंय है । इसी 'न्विकित्सा-शाख्रके असुसार
रोगको दूर करना ही वायोकेमिक नच्चिकित्सा है ।
बायोकेसिक दवाएं और -उनका -प्रघोग
इसके पहले हमलीगोने देखा है कि शरीरके निर्माण और धारणके
'लिये सभी उपकरण रक्तके सहारे सब शरीरमें फेलते हैं । ये सभी उपकरण
धमनीका शरीर भेदकर आस-पासके तन्तुओमसें आकर मिल जाते हैं ।
जब पार्थिव-लवण उपयुक्त परिमाणमें शरीरमें रहता है; उस समय सभी
तन्तु और कोष अपनी स्वाभाविक अवस्थामें अपना-अपना कार्य किया
करते हैं, ऐसी' अवस्थामें मनुष्यका स्वास्थ्य भी एकदम ठीक रहता है !
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