मतिराम | Matiram

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Matiram  by कृष्णबिहारी मिश्र - KrishnaBihari Mishra

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about कृष्णबिहारी मिश्र - KrishnaBihari Mishra

Add Infomation AboutKrishnaBihari Mishra

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
गोत्र : बंध हद पं० विश्वनाथप्रसाद मिश्न ने पं० जवाइरलाल चतुर्वेदी से प्राप्त एक चंशावली, श्रपने 'भूचण” नामक ग्रंथ में प्रकाशित की है, जो मथुरा के एक चौबे की बद्दी से 'पं० जवाइरलाल जी चतुर्वेदी को प्राप्त हुईं थी ।*3 इस वंशावली के अनुसार 'मतिरास' के पिता का नाम 'रतिनाथ' था । शनेकानेक वृत्त-बत्तात केवल फिंवदतियाँ और दतपरपरां या हेतु” से ्रताधित श्रनुमितियों के झ्राघार पर श्रटकलपच्चू ही प्रामास्थिक मान लिए गए! है । डदाइरयार्थ यहाँ 'शभुनाथ' को 'सुलकी' कह दिया गया है थो वर्तुतः झन्य कोई नहीं बल्कि शिवाजी के पुत्र 'साहू' नी हैं । ३, 'मतिराम' के वंशज शी शिवसहाय तिवारी श्रादि ने यात्राप्रतग मैं सधुरा जाकर--कन्देयालाल छुगनलाल मानिकचौक मथुरा कौ--बदी में श्रपना वंशपरिचय अपने ही हाथों लिखा है । उठी के श्राधार पर प० विश्वनाथ- श्रसाद जी ने निम्ननिर्दिश वश बनाया है (भूषण, प्र० स०, प्र० €७)-- रतिनाथ मतिराम जगन्नाथ शीतल बेजनाथ बिहारीलाल... शिवगुल्लाम शिवसदाय.. रामदीनं काशी दत्त शिवराखन... गयादतत । प्रयागदत्त में दकिशोर इस वशावली के साथ “कवि बिहारीलाल' की 'रसचंद्रिका” का वश- परिचय मिल जाता है ( लिसका उद्धरण श्ागे मिलेगा ) । इस परिचय में बताया गया है कि 'मतिराम' 'रतिनाथ' के पुत्र थे। ये 'गूदरपुर' तिवारी ( कान्यकुब्ज ) थे । तिक्वॉपुर में सुखवास करते थे । परतु डा ० म्हेद्रकुमार श्रपने व्यक्तिगत शोध के श्राघार पर इस प्रमाण को ही श्प्रामाणिक मानते हें। उनका कहना है कि जिप्त 'शिवसहाय” द्वारा यह बंशपरंपरा लिखित बताई




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now