हजरत मुहम्मद साहब | Hajarat Muhammad Sahab

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Hajarat Muhammad Sahab by ब्रजमोहनलाल - Brajmohanlal

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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शुद्दष्टट भाइव 1 भाग्यकाम । श्े इत दे दुहर टिससारि थि। फोई निदुद्धि कूदोले जरा भी थात दव सड़ने वो लप्दार दो जाएँ भर पं शक पपने भाइय का स्यूस डे दि। इस सन मे ऐसी एम दूर लिएं, भप्र।+ छतिश दलों, देव -ननिमश कार्य फियेजाति ये कि शरधय चरम करना थे एच प्रशर रो निरंत्यता है । परव भोर इस्राइस सोगों को सूमि में, जी थे ईसाई ीर मुमलपानों के धर्म फा घारत्य दूपा या, एक दूर परी पूजा का भाष पर्तसान था, पर्मु थे भष जुत-पधप्त थे। इस्पी जु्ों की पूजा मे मै इंग्यर तर पहुंचमे को पाथा रे थे । सुह्ष्प्रद भाइव के 'ममय में शुत-परपों ( सूर्तिपूज्ना ) का सर्पद प्रचार घा। उनको पिसाम था कि यद सूर्तियाँ णुदा के मामने इमारी सिफारिश करेंगो।. थे प्रमिइ-प्रमिद पुरुष! थवा चपन पूर्दभ को सूदि को पूता किए फरते थे। इर एक क्बीलि की पणग-यलग सूर्ति थो। ऐसा कोई घर नी था जद मूर्ति सो |. सुहस्पद के समय अरव एक इग्सी डग के मट्दग था । ऐसे चच्चान घोर अन्थकार में घिरे इुए साय पीर देश में मुद्स्पद साइव का लग्म एक प्रमिद कडोना, करैग को जाणा, बनी गम में इुपा । उगऊे परदादा हाथिम मे कादा पोर मफा को गठन में बचाया था इमोलिये गरोफ़ कावा या गरिफ मशा का पद मी सउनको मोदर ( परम्पहागत ) 'तोर थे दे दिया गया था । यह




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