हिंदी रत्ना कोष | Hindi Ratna Kosh

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Hindi Ratna Kosh by दामोदर रामस्वरूप गुप्त

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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अँबराइ द्‌ शँबराई--स्री० शाम का बग्ीचा । सिथवंश्ी राजा । शंबरीष--पु० अयोध्या का- ंवरोक--पु० देशता । प्रंबल--पु ० खट्टी वस्तु । श्रंबष्ट--पु० स्त्री० झंबष्ठा मद्दावत । एक जाति 1 ब्राह्मण पति भर बेड्य पत्नी से उत्पन्न व्यक्ति । श्रंबष्ठ --स्री० जूदी। पेडा शम्जोना या चूक । श्ंबा--स्त्री ० माता । पार्वती दुर्गा । काशिराज की बड़ी लड़की । आम । अंवापोली--पु० अमावट | अंबार--पु० ढेर रादि । श्रंबारज़ाना--पु० भंडार । श्रंबारी--ख्ो० दथी का होदा । ऋँब लिका-स्त्री माता । काशिराज की छोटी लड़को। श्रंबिका--स््री८्दे० अंत्रा काशिराज की सध्यमा- लड़की । पावती । शरंबिकेय---पु० नं बिका-पुत्र । गणेदा । कात्तिकेय। धरूतराष्ट श्र विया--स्त्री ० बहुत छोटा- भराम । शंबिरथा--वि० वृथा । श्रबु--पु० जल । कंजुझं डक--पु० मगर | अंवुकेण--पु० फुद्ारा ओस | शवुज-पयु० कमल । बेंत । बज़ । महा । शंख । ंबुदर--पु० बादल । झंबुधघर--पु० बादल 1 अंजुधि--पु० समुद्र । अंवुनिंधि--पु० समुद्र । अबुप अंवुपति--पु०समुद्र । वरुण | अंबुभूत--पु०बादल । समुद्र । अंवुराशि--पु ० समुद्र । अंजुरुद--पु० कमल । अवुता--पु० शाम । अंबुनाह--पु० बादेल । अंवुशायी--पु० विष्णु । अंबुसरण--पु० सोता। अंबूुकूत--पु० थूक सदित- बोलना । अंब्रोद---पु० जप्घट । अभ--पु० पानी । प्ितिर- लोक । देख अं भसार--पु० मोती । झंभोज--पु०कंमल । मोती | ं चन्द्रमा 1 झंभोषर--पु० बादल मेघ व्ंभोनिधि--पु० समुद्र । अंभोराशि--पु० समुद्र । अभोरुदद--तु० कमल । झंमारी--दे० अंगारो । अंश--पु० कला । भाग | कँघा । परिधि का ३६० वाँ सांग । अंशक-पु० भाग । दिस्सेदार वि० बाँटने वाला । अंशपत्र--पु०शराकतनामा । अशसुता--स््री ० यमुना | अंशी---वि० दिस्सेदार । अशु--पु०खूत | किरणुपतेज । अशुक--पु०कपड़ा । डुपट्ा । दसर रेशमी वस्त्र। डे . अकथ्य अंशुमती--स्त्री ० बिदारी गंध अंशुमत्फला--पु०. केला । झंशुमान-पु० सूये । अयोध्या का एक राजा 1 अंशुमाली--पु० संय । अस--पु० कंधा । पूर्ण । अँसुवानी--वि० स्त्री ० अश्नु- प्रंसल--वि० बलवान । भ्रैसुता--पु० झॉस.। हद अंदस-पु०पाप । विज्ञ। अंदृति--स्त्रा० दान । अंडि--पु० चरण पैर । झकंटक--वि० सिर्विव्त भकंपन--वि० न. काॉँपने वाला | अ्रइल--पु० छे५ सेंद । श्रऊत--बि० पुत्र- वहीन । अ्रकलना-सक्रि० तप्त दोना जलना । झरना -सक्रि०्यदण करना । अक--पु० पाप । दुःख । झकउ झा --नपु० मदार । भ्रकच-बि० बालों से रहित । पु० केतु । नंगएू अकच्छ--विं० व्यभिचारो । अकड़--स्त्री० ऐंठ । ढठ । झकडना --शक्रि० एऐंठना पकड़बाई--स ० वातरोग । श्रकड़बाज़--विं०झोखीबाज ॥ झकड़ाव--पु०एंठन तनाव 1. झकड़ेत--वि० दे ० झकड़- बाज? 1 | झकत--वि०समूचा पूर्ण झकथ श्रकथनीय--वि० से कहे जाने योग्य ॥ योश्य । कथ्य--वि० न कदइसे-




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