तुलसीदसोतर हिन्दी राम साहित्य | Tulsidasotar Hindi Ram Sahitya

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Tulsidasotar Hindi Ram Sahitya by तुलसीदास - Tulaseedas

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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हे 2 सेनापति-कवित्त रागकर | ([घ) सदी बोलो के शारंभिक गद्य मैं. रामनसाहित्व थी रचनाएं । रास श्रसाद निरंननी- जावा योग दाशिप्ठ । दौलतराम-पदूमपुराथ, सदल मिदद- रामचरित । (४) भमषुरा भक्ति प्रमुख : तुलसीदासोत्तर रामकाव्य का संध्य युप (संवत्‌ १७२६-२०००) दर (क) रसि संप्रदाय का स्वरूप, मधुर उपासना का तेतिश्ा, 'रहिक साद्रदाय को धाध्याहिमक साधना फा सुन, रसिक संप्रदाय भौर राम की तांत्रिक मांत्रिक प्रतिष्ठा, रसिक संप्रदाय मैं. राम-साहित्य का रूप । (प) प्रसिद्ध कवि और उनकी हतियाँ : दर्णनात्मक और प्रबंघारमक काप्य-लग्रदास+ बष्टपाम, गुणी सुझराम टेडन-रामदिलास, एनादास-उभय अवोधक रामायण, भहात्मा श्र फिशोर-श्री मिथिला विलास, शमप्रिय शररनपीतापन प्रथ-रामचरत कवि घानकी समर 'दिन्रम । मौत हवा पद-रचनाकार कवि और उनको रचनाएं- बाल नली छोनेह प्राण, ध्यान मंजरी । बाततानंद-स्फूट पद | रुपसाल-रुपससो-दोदे । सूरकिज्नोर-स्फुठ पद | राम ससे-पदावलो, नुत्य राघद मिसत, दोहादली । कृपा निवास-लगंन पचीसी मानंद, चिन्तामणि, रामरसामूत सिन्धु- रस पद्धति भावना, पच्चोसी, पदवली । रामचरणदासन्यंथ दतक, रस मल्लिका, बप्टमाम पूजा दिधि, रामपदादली, स्टूलन, कीशतेन्द्र रदस्प, रामनवरत्न सार संग्रइ । जीदाराम सुगलप्रिया-युगल प्रिया पदावलो । जनरुराज किशोरी बारण “रसिक मेत्नो”-रचना सिद्धान्त मुग्तावली । सुगलानन्द घरण शी-प्रेमसावप्रभा दोह्ावली, युगल बिनोद विलास । सोतारामश्ञरष रसरं गर्माथ'-सोताराम दोमादनो, प्रेम ,पदा- बसी, श्री रामसत वदना, श्री रामरसरंग दिलास, रामसांकी रंगविलाम वित्तास | राॉसदरण-सोहर पदादली । बैज्नाय कुरमी-रामसोता संयोग-पदावली, श्री बोलमणि-विवेक गुच्छ सियावर सुद्रिका | झानकीवर प्रोतिलता-मिथिना महात्म्य,




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