सतसई सप्तक | Satsai Saptk
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
19 MB
कुल पष्ठ :
652
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)(७
फे साध नए रूप में देखी जाती है। इस प्रभाव को लाने के लिये
_सूक्तिकार के पास कई साधनों का दाना भ्रावश्यक है। सबसे
पहले उसके कथन में कुछ बक्कता या बाँकापन होना चाहिए । उसे
घुमाव-फिराव से बात कहनी चाहिए । बिल्कुल सीधे. ढंग से
' * कहने से बात का मदत्त्व बहुत कुछ घट जाता है । . सिंदद्वार या
सदर फाटक से आक्रमण करनेवाले को दृढ़ झवराध का सामना
करना पड़ता है । इसी लिये किले में प्रवेश करने के लिये झाक़्रमण-
कारी ऐसे किसी किनारे के छोटे-माटे दरवाजे की दोह में रहते हैं
जिसका कोट के निवासियों का उतना खयात्त न हो । दिल में
प्रवेश करने के लिये भी बात को ऐसे ही माग ढूँढ़ने चाहिएँ ।
विदग्ध वाणी फोर ऐसे मागे सहज ही सिल जाते है। जो वात बहुत
दिनों के शास्नाथ श्रौर तक-वितर्क से किसी के सन में न जमाई जा
सके वह सइसा किसी चतुराई भरी एक छोटी सी बाँकी उक्ति से
एक क्षण में सुभाई जा सकती है । 'सदसा” शब्द पर विशेष ध्यान -
देंना चाहिए । क्योंकि विदग्ध वाणी का प्रभाव भी बिना सइसा
कद्दे बहुत झुछ 'क्षीण हो जाता है। अचानक श्र शीघ्र झाक्रमण
प्रभावशाली होता है । यदि आक्रांतां को तैयारी का अवसर दे
दिया जाय ते! फिर विजय झनिश्चय में पड़ गई । विजय 'ाक्रांत
को ध्राशचये में डालने में है । आश्चये उतना झधिक गद्दरा होगा
जितनी मात्रा में उक्ति सदसा कह्दी जायगी श्रौर वेग-पूथणे होगी !
' इन्हीं शुर्ों के कारण कोई व्यक्ति प्रत्युस्पन्रमति कहलाता है । झवसर
' पर फबती बात को झचानक कद्द बैठना यददी भ्रत्युव्पन्न सति का लक्षण
है। सूक्तिकार का प्रत्युत्पन्नमति होना चाहिए । यद्द बात ता बिना.
_ कहे दी माननी चाहिए कि सूक्तिकार के पास ज्ञान का. मांडार पयाप्त
देना चाहिए, परंतु उससे झधिक उसके पास श्रवसर के उपयुक्त
उचित उपयेग करने की शक्ति द्ोनी चाहिए ।
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