जैन जगती | Jain Jagati
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
28 MB
कुल पष्ठ :
474
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)जैन-जगती
'जेन-जगती' वास्तव में जेन-जगत् का. त्रिकाल-दर्शी- दपस्प
हूं । सुकबवि ने प्रसिद्ध 'भारत-भाग्ती' की शंली पर जन समाज्ञ
को ठीक कसा टी पर कसा है । कट उक्तियां रुढ़ि चुर्त साधुष्यों
छोर श्रावकों को चोकान वाली हैं । कहीं-कहीं शब्दों के झत्यंत
कम प्रचलित पर्यायबाची रूप श्माने से साधारण श्र शी क पाठकों.
को सहसा रुकना पढ़ेगा: किन्तु जो लोग तनिक धीरज से क्राम
लकर श्माग बढ़ गः वे इस पुस्तक में स्साम्त क. शलोकिक
ानंद का आस्वादन करेगे |
“बर विंद' कवि की यह प्रधम कृति समाज की एक छामलि-
बाय्य आवश्यकता की पूति करती है ; इसके अतिरिक्त मुझे
कवि के अन्य सावजनिक थिपयों के बड़-छोट कई पथ-ग्र थों को
( अप्रकाशित रूप में ) पढ़ने ओर सनन का साभाग्य भी प्राप्त
हृद्मा है | इस अनुभव के आधार पर मे कह सकता हूँ कि यदि
जनता न कॉव की कृतियों को अपनाया तो “अरविंद के रूप में
एक लोक-संबी कवि का उसे विशष लाभ प्राप्त होगा ।
जन-जगती' जागृति करने के लिय संजीवनी-वटी है । फल
हुय आडम्घर एवं पारूड को नेश्तनाबृद कगने के लिय बम्ब का
गोला हे । समाज के सब पहलुष्मों को निर्भीकता पूर्वक छुच्मा
गया हैं। पुस्तक पढ़न आर संग्रह करने योग्य है ।
ज्ञान-भंडार जोधपुर ? श्रीनाथ मोदो 'हिन्दो प्रचारक
आ० कु० १३-६८. है
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