छत्रप्रताप | Chatrapratap

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Chatrapratap by दौलतसिंह लोढ़ा - Daulatsingh Lodha

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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खुन्र-प्रताप গতি से निकलकर जिनने न शिविन भा देखे, देखो बन में वे शिखिन जलाती हैं! कनक कलाप चिना पल भी जो रहीं न, वे विपिन में कलाप से मन को रिफाती हैं! करते है णश ০] महीप 'दोलतसिंह', जिनकी कन्याये देखो हूरमा कहाती हे! त्याग-भार प्रताप का मेल पातो हे ने मही, देश-प्रेम प्रताप का अप्सराये गाती हैं । १९




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